
लखनऊ। विगत छह वर्षों में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दर्जनों घोटाले अपने आप में एक रिकार्ड है। महीने नहीं बीतते तब तक कोई न कोई घोटाला इस सरकार का उजागर हो जाता है। लोग कुम्भ घोटाला अभी तक नहीं भूल पाये होंगे, कोरोना के समय में जनता के साथ जिस तरह से सरकार ने मजाक किया वह भी लोगों को याद होगा, अयोध्या का जमीन घोटाला हो, पशुधन घोटाला, DHFL घोटाला, स्मार्ट मीटर घोटला, सहकारिता विभाग का घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, इंवेस्टर समिति आयोजन घोटाले जैसे तमाम घोटाले जनता भूल भी नहीं पायी है। कि प्रदेश में आयुष घोटाले ने तो सरकार के मंत्रियों की पोल खोल दी।
उप्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने बताया कि जहॉं तमाम छात्रों का भविष्य आयुष घोटाले की भेंट चढ़ रहा है, वहीं घोटाले के आरोपी अपट्रान पावरट्रानिक्स के प्रबन्धक प्रबोध कुमार की गिरफ्तारी चर्चा में है। उनके सम्बन्धित विभाग IT एवं इलेक्ट्रानिक्स में उसकी पहुँच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। कि उन्हें प्रबन्ध निदेशक बनाने के लिए योगी सरकार के मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय एवं अजीत पाल ने सिफारिसी पत्र लिखा था। निश्चित रूप से प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले के आरोपी की सिफारिस में पत्र लिखना कहीं न कहीं मंत्री की पुरानी मिलीभगत दर्शाती है। इस तरह से योगी सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर इसे पुष्पित एवं पल्लवित कर रही है।
पाण्डेय ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री योगी नैतिकता दिखाते हुए कब इन मंत्रियों को बर्खास्त करेंगे। जबकि उसी विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा आरोपी प्रबोध कुमार के खिलाफ जॉंच शुरू करायी गयी थी। योगी सरकार पूर्णतया भ्रष्टाचार और घोटालों की सरकार बन चुकी है। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनय पाठक के मामले में गम्भीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद भी STF गिरफ्तार नहीं कर पा रही है, आखिर क्या लाचारी है? आगरा विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति के रूप में प्रो0 विनय पाठक के समय की BHMS परीक्षा की कापियों का पुर्नमूल्यांकन की जॉंच भी शुरू हो चुकी है, उन्हीं के समय में BED परीक्षा में भी अंक बढ़वाने का मामला संज्ञान में आया था। निश्चित रूप से भ्रष्टाचारियों को बचाना इस सरकार की नीयत बन चुकी है।