फिसलती जुबां से रसातल में जाती राजनीति, क्या है पूरा मामला़

आदेश शुक्ला
आदेश शुक्ला

वर्तमान में भारतीय राजनीति बिल्कुल ही फूहड़पन, अश्लीलता एवं बदमिज़ाजी के दौर से गुजर रही है। छुटभैये नेताओं से लेकर रसूखदार मंत्री और पार्टी की बातें जनता तक पहुँचाने वाले प्रवक्ता और सोशल मीडिया हैंडल सभी की ज़ुबां दिन-ब-दिन फिसलती जा रही है। नतीजतन आरोप-प्रत्यारोप के दौर के साथ-साथ तू-तड़ाक से लेकर ‘दलाल’, ‘भंडवा’ और ‘मधरजात’ जैसे निकृष्ट शब्दों तक दिग्गज राजनेता उतर गए हैं। इसकी ताज़ा मिसाल है समाजवादी पार्टी की आधिकारिक सोशल मीडिया टीम पर हुई तीन एफआईआर। पहली रपट दर्ज कराई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता हीरो वाजपेयी ने तो दूसरी एफआईआर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दर्ज कराई थी। इस तनातनी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का नाम आया तो तीसरी एफआईआर विभूतिखंड थाने में प्रमोद पांडेय द्वारा दर्ज करा दी गई।

 

राजधानी पुलिस ने जैसे ही समाजवादी पार्टी (SP) के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल संचालक मनीष जगन अग्रवाल को गिरफ्तार किया, वैसे ही सर्द रातों से काँप रहे लखनऊ की राजनीतिक फ़िज़ा गर्म हो गई। सपा मुखिया अखिलेश यादव धड़धड़ाते पुलिस मुख्यालय पहुँचे तो वहाँ कार्यकर्ताओं का अच्छा-खासा जमावड़ा लग गया। पुलिस को लाठियाँ भांजनी पड़ी और किसी तरह मामला रफा-दफा हुआ। बक़ौल पुलिस, समाजवादी पार्टी (SP) मीडिया सेल के खिलाफ अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।RSS कार्यकर्ता और अधिवक्ता प्रमोद कुमार पांडेय ने अपनी शिकायत में कहा था कि सपा मीडिया प्रकोष्ठ ने अपनी शाखाओं में RSS के युवा स्वयंसेवकों के इलाज के संबंध में ट्विटर पर ‘बेहद आपत्तिजनक’ टिप्पणियां की थी। उनकी इस टिप्पणी से लाखों कार्यकर्ताओं को मानसिक आघात पहुंचा है। इसी बीच सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने पार्टी के सांसद डिम्पल यादव पर अमर्यादित टिप्पणी का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता ऋचा राजपूत पर हज़रतगंज थाने में केस दर्ज कराया।

बताते चलें कि सपा मीडिया सेल और भाजपा के दो प्रवक्ता मनीष शुक्ला और राकेश त्रिपाठी के बीच वाकयुद्ध जारी है। दोनों ही पक्ष एक दूसरे से चील झपट्टा का खेल खेल रहे हैं। लेकिन बीजेपी के प्रवक्ता जहां सधे शब्दों का प्रयोग करते हैं, वहीं ‘सपा मीडिया सेल’ नामक हैंडल से निजी और गिरे शब्दों का उपयोग लगातार जारी था।

भाजपा प्रवक्ता आलोक अवस्थी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी सवर्णों ख़ासकर ब्राह्मणों से अत्यधिक नफ़रत करती है, इसीलिए उसके घृणित ट्वीट में केवल और केवल तीन ब्राह्मण प्रवक्ता ही शामिल थे।

वहीं दूसरे प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के आफिसियल ट्वीटर हैंडल से लगातार अभद्र, अश्लील एवं अपमानजनक टिप्पणियाँ की जा रही थीं। हम इन टिप्पणियों को राजनीतिक प्रतिशोध मानकर नज़रअंदाज़ करते रहे। हम उन्हें समझाइश देते रहे। अखिलेश यादव को टैग करके यह अपेक्षा भी करते रहे कि वह अपनी पार्टी के ट्वीटर हैंडल से हो रही गाली-गलौज और अपमानजनक शब्दों पर रोक लगाएँगे। लेकिन पिछले दिनों मेरे वृद्ध माता-पिता और मेरी पत्नी को लेकर अपमानजनक टिप्पणियाँ की जा रही थीं, वो कुछ नहीं कर रहे थे।

भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला सधे शब्दों में कहते हैं कि सपा लगातार हार से बौखला गई है। इसलिए वह अपने मूल विचारधारा से दूर लोगों से गाली-गलौच और अमर्यादित टिप्पणी पर उतर आई है। लगता है साल 2024 में यूपी से सूपड़ा साफ़ होने के बाद नीच हरकत पर उतारू हो जाएगी। ग़ौरतलब है कि एक ट्वीट में संघ में खेलों के नाम पर बच्चों पर 377 की कथित प्रथा का जिक्र था।

वहीं एक ट्वीट में RSS के संस्थापक सरसंघचालक केशव बलिराम हेडगेवार का जिक्र है, जिसमें आरोप है कि संगठन अपने अस्तित्व के बाद से ही अंग्रेजों की गुलामी करने में व्यस्त था। इसमें रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम और 2019 के रेप केस के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद सरस्वती का भी जिक्र है। कई एफआईआर दर्ज होने के बाद हरकत में आई पुलिस ने सपा के मनीष अग्रवाल ‘जगन’ को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार सुशांत गोल्फ सिटी निवासी मनीष के ख़िलाफ़ दो नामज़द केस दर्ज है और शांति भंग का अंदेशा होने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

 

हालाँकि ट्वीटर हैंडल संचालक की गिरफ़्तारी से तमतमाए सपा मुखिया अखिलेश यादव पुलिस मुख्यालय पहुँच गए और पुलिस अफ़सरों को काफ़ी खरी-खोटी सुनाई। उनके पहुँचने की सूचना मिलते ही हज़ारों कार्यकर्ता सिग्नेचर बिल्डिंग घेर लिए और पुलिस के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। हालाँकि इन उपद्रवियों से निपटने के लिए पुलिस ने लाठियाँ भांजी तो वो भाग खड़े हुए। लेकिन कुछ उस बीच भी बैरिकेडिंग लांघकर पुलिस मुख्यालय में घुसने की कोशिश कर रहे थे।

बाबा भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर सुशील पांडेय कहते हैं कि जब से राजनीति का व्यवसायीकरण एवं उसमें धर्म एवं अपराध का समावेश हुआ है। वह नेताओं-कार्यकर्ताओं के स्वार्थ साधने का माध्यम बन गई और राजनैतिक विमर्शों में बदजुबानी और तल्खी बढ़ी है। एक-दूसरे को अपमानित करने से लेकर हिंसा हमारी समकालीन सियासत का प्रमुख भाव बन गया है। इस अपसंस्कृति का नजारा हमें संसद से लेकर चुनावी सभाओं तक और सामान्य बातचीत से लेकर सोशल मीडिया के संवादों में दिखलाई दे रहा है।

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह  इसका जनक भारतीय जनता पार्टी को ठहराते हैं। वह कहते हैं कि हाल के बरसों में खासकर जब से मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने केन्द्रीय सत्ता सम्भाली है, जुबानी जंग और भी अशिष्ट हो गई है। विरोधी विचारधाराओं प्रति नफरत का ऐसा माहौल बना हुआ है जिसने  हमारी शालीनता और सदाशयता से युक्त राजनैतिक संस्कृति को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।

चाय में ज़हर दे दो तब…

पुलिस मुख्यालय पहुँचे अखिलेश यादव को अफ़सरों ने चाय ऑफ़र किया तो वो दो टूक लहजे में बोले कि मुझे भरोसा नहीं है। आप लोग ज़हर दे दें तो…। उनके इस बात पर भाजपा प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने ट्वीट किया और कहा कि जो व्यक्ति प्रदेश का सीएम रह चुका हो, उसका बौद्धिक स्तर देखकर शर्मिंदगी होती है। हालाँकि अखिलेश यादव का यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेज़ी से वायरल हुआ।

सड़क छाप टपोरी की तरह ट्वीट करता था मनीष

पुलिस द्वारा गिरफ्तार मनीष जगन अग्रवाल इतनी गिरे शब्दों का इस्तेमाल करता है कि उसका एक ट्वीट यहाँ लिखा जाना संभव नहीं है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि इतनी नीची हरकत पहली बार देखने को मिली है कि कोई पार्टी के हैंडल से प्रवक्ता, नेता और पत्रकार पर इतनी भद्दा कमेंट करे। उसके कई आपत्तिजनक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

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