यूपी सरकार ’ख़ुदा की संपत्तियों’ अर्थात् वक़्फ़ प्रॉपर्टीज की जांच करा रही है, क्यों..?

यूपी सरकार को वक्फ के नाम पर देश का सबसे बड़ा घोटाला होने की आशंका..?

रंजन कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों की जांच कराने का फैसला किया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने राज्य में सभी जिलों के कमिश्नर और जिलाधिकारियों को जांच के लिये निर्देश दिये हैं। जांच करके पता लगाया जाना है कि कौन सी संपत्तियां नियमों को धता बताते हुए वक्फ की संपत्ति के तौर पर दर्ज की गई हैं। इस पूरी प्रक्रिया को 8 अक्टूबर तक पूरा करने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि इसके जरिए साल 1989 में आए एक आदेश के तहत दर्ज की गई संपत्तियों के परीक्षण की बात कही जा रही है। 33 साल पहले राजस्व विभाग की ओर से जारी इस आदेश में कहा गया था कि राजस्व अभिलेखों में वक्फ की संपत्तियां ज्यादातर ऊसर, बंजर, भीटा के रूप में दर्ज की गई हैं।

अगर ये वास्तव में वक्फ की संपत्तियां हैं तो जिन रूपों में इस्तेमाल हो रही हैं, मसलन, कब्रिस्तान, मस्जिद या ईदगाह तो उन्हें ऐसी ही संपत्ति के तौर पर दर्ज किया जाये। इस आदेश में यह भी कहा गया था कि इन रूपों में संपत्तियों को दर्ज करके उनका सीमांकन किया जाए। राज्य सरकार का कहना है कि यह आदेश राजस्व कानूनों के अलावा वक्फ अधिनियम के भी खिलाफ है, इसलिए इस शासनादेश को रद्द कर दिया गया है। इस आदेश को आधार बनाकर राज्य में बहुत सी ऐसी संपत्तियां, जो राजस्व अभिलेखों में बंजर, ऊसर इत्यादि के रूप में दर्ज थीं, उन्हें भी वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कर दिया गया था। सरकार अब ऐसी ही संपत्तियों की जांच कराना चाहती है। इससे पहले राज्य सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण का भी आदेश जारी किया था जो अभी चल रहा है।

‘खुदा की संपत्ति’

यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि वक्फ संपत्तियां ’खुदा की संपत्ति’ मानी जाती हैं और इस पर कब्जा करने का अधिकार किसी को नहीं है। उनके मुताबिक, “सरकार ने साफ मंशा से इसका सर्वे कराना शुरू किया है। वक्फ संपत्तियों की पहचान कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।”

वक्फ की प्रॉपर्टी दान में मिली संपत्ति होती है

’वक्फ’ ऐसी चल या अचल संपत्ति होती है जिसे इस्लाम में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति अल्लाह के नाम पर धार्मिक या परोपकार के उद्देश्य से दान करता है। ये संपत्तियां फिर अल्लाह की संपत्ति हो जाती हैं और उसके अलावा कोई दूसरा उसका मालिक नहीं हो सकता। इन संपत्तियों का मकसद समाज कल्याण होता है और उनसे प्राप्त आय भी समाज के कल्याण में ही खर्च की जाती है। भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए सेंट्रल वक्फ काउंसिल की व्यवस्था बनाई हुई है। भारत में वक्फ बोर्ड 1964 में अस्तित्व में आया, जब ’सेंट्रल वक्फ काउंसिल’ की स्थापना की गई। हालांकि इससे संबंधित कानून 1954 में ही बन गया था। सेंट्रल वक्फ काउंसिल भारत में वक्फ की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर एक स्वायत्त निकाय है जबकि राज्य स्तर पर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक्फ बोर्ड हैं। भारत में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। आमतौर पर एक राज्य में एक ही वक्फ बोर्ड हैं लेकिन लखनऊ में दो वक्फ बोर्ड हैं- शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड। वक्फ करने वाली संपत्तियों को इन्हीं बोर्डों में रजिस्टर कराया जाता है।

दो तरह की वक्फ संपत्तियां

लखनऊ में इस्लामी स्कॉलर मोहम्मद रजा किछौछवी कहते हैं, “वक्फ दो तरह की होती हैं। एक तो वो जिनमें वक्फ करने वाला व्यक्ति अपनी औलादों का नाम डालता है। ऐसी संपत्तियां रहेंगी तो वक्फ बोर्ड के कब्जे में लेकिन उनकी औलादें ही उसकी मुतवल्ली बनती रहेंगी। पर ये लोग संपत्ति बेच नहीं सकते। दूसरी ऐसी संपत्ति होती है जो मुस्लिम हित में इस्तेमाल के लिए दान में दे दी जाती है। यह संपत्ति सीधे वक्फ बोर्ड के पास आ जाती है। वक्फ बोर्ड किसी भी मजार को कब्जे में ले सकता है यदि वहां उर्स हो रहा है। इसलिए लोग खुद ही ऐसी संपत्ति को बोर्ड में रजिस्टर करा देते हैं। दरअसल, वक्फ की प्रॉपर्टी बेच नहीं सकते लेकिन कई जगह उन्हें सस्ते दामों में बेच दिया गया है। इस तरह से कि संपत्ति तो वक्फ की ही रहेगी लेकिन कब्जा उस व्यक्ति का रहेगा जिसने कथित तौर पर उसे खरीदा है। इसी तरह की संपत्तियों की जांच हो रही है और यह होनी भी चाहिए।”

मुकेश अंबानी का घर भी वक्फ की जमीन पर बनाये जाने के आरोप हैं

1998 में दिए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुका है कि जो संपत्ति एक बार वक्फ की हो जाती है, वो हमेशा वक्फ ही रहती है। इसीलिए इसकी न तो खरीद-फरोख्त होती है और न ही इसे किसी दूसरे को हस्तांतरित किया जा सकता है। लखनऊ में मोहम्मद आसिफ कहते हैं, “संपत्ति को वक्फ करने वाला शख्स यह तय कर सकता है कि उस संपत्ति से होने वाला फायदा किस मद में खर्च किया जाए। इसके लिए वसीयत के जरिए वक्फ बोर्ड के साथ एक डीड बनाई जाती है।”

वक्फ की संपत्ति का रखरखाव

भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के मुताबिक देश में इस समय आठ लाख से ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं। सबसे ज्यादा करीब ढाई लाख वक्फ संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं और उसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। हालांकि जानकारों के मुताबिक, वक्फ संपत्तियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है क्योंकि बहुत सी ऐसी वक्फ संपत्ति हैं जो कि वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं हैं। वक्फ बोर्ड का काम उसके तहत आने वाली संपत्तियों का रख-रखाव करना होता है जिनमें कब्रिस्तान, मस्जिदें, मजार और दान की गई अन्य जमीनें आती हैं। जमीनों के अलावा चल संपत्ति भी वक्फ की जा सकती है और इन संपत्तियों का प्रयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए ही किया जाता है। लेकिन अक्सर वक्फ की संपत्तियों को लेकर विवाद होता रहता है। जानकारों के मुताबिक, 1995 में हुए संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार मिल गए और राज्यों के वक्फ बोर्डों ने उन अधिकारों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। पिछले दिनों तमिलनाडु में एक घटना सामने आई जिसमें पूरे गांव की जमीन पर ही वक्फ बोर्ड ने दावा ठोंक रखा है। दरअसल, वक्फ बोर्ड ने अगर किसी संपत्ति पर दावा कर दिया है कि यह उसके अंदर आने वाली जमीन है, तो जमीन मालिक को यह साबित करना पड़ता है कि उसका असली मालिक वह है ना कि वक्फ बोर्ड। वक्फ की संपत्तियों के दुरुपयोग और अवैध खरीद-फरोख्त के भी कई मामले सामने आते रहते हैं। एआईएमआईएम के यूपी अध्यक्ष असीम वकार कहते हैं कि वक्फ की संपत्तियों की यदि जांच हो जाए तो यह देश का सबसे बड़ा घोटाला निकल सकता है।

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