जेलमंत्री से संभाले नहीं संभल रहा विभाग!

तबादलों में हुई जमकर उगाही से विभागीय अफसरों में नाराजगी

मुख्यमंत्री के पास कारागार विभाग होने से थी जेल कर्मियों को राहत

आरके यादव

लखनऊ। प्रदेश के जेलमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति से कारागार विभाग संभाले नहीं संभल रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन विभागीय अफसरों की माने तो यह सच है। विभागीय मंत्री की कार्यप्रणाली से अधिकारी ही नहीं सुरक्षाकर्मी भी काफी त्रस्त है। जबकि हकीकत यह है कि मंत्री के उत्पीडऩ और उगाही से अधिकारियों को जीना दूभर हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि मंत्री के साथ ही साथ उनके परिवार के सदस्य भी विभागीय अधिकारियों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इससे विभागीय अधिकारियों में खासी नाराजगी व्याप्त है। मामला विभागीय मंत्री से जुड़ा होने की वजह से अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योगी वन सरकार में कारागार विभाग मुख्यमंत्री के पास था। योगी टू सरकार में मुख्यमंत्री ने यह विभाग विधान परिषद सदस्य धर्मवारी प्रजापति को कारागार विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा। इसके अलावा सीतापुर से विधायक सुरेश राही को जेल विभाग का राज्यमंत्री बनाया। जेल विभाग में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की ही चल रही है। विभाग का प्रभार संभालने के तुरंत बाद ही राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति ने प्रदेश की जेलों को दौरा करना शुरू कर दिया। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की जेलों का दौरा करने में जुटे मंत्री का न तो विभाग की समस्याओं से कोई सरोकार रहा और न ही बंदियों की समस्याओ से और न ही जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार से रहा। बताया गया है कि प्रदेश की जेलों में अफसरों की संख्या काफी कम है। अधीक्षक की जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक और वरिष्ठ अधीक्षक की जेलों की जिम्मेदारी जेलर को सौंप रखी है। विभाग में डीआईजी की संख्या कम होने की वजह से एक एक डीआईजी के पास दो दो परिक्षेत्र की जेलों की कमान है। कुछ ऐसा ही हाल जेल मुख्यालय का है। एआईजी (विभागीय) के पद पर तैनात अधिकारी के सेवानिवृत हो जाने के यह पद काफी दिनों से खाली पड़ा हुआ है। मुख्यालय में अधीक्षक मुख्यालय का पद भी खाली पड़ा हुआ है। राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का जेलों की समस्याओं के बजाए सिर्फ उगाही पर ही रहा।

सूत्रों का कहना है कि जेलमंत्री स्वतंत्र प्रभार ने अधिकारियों की कमी का लाभ उठाते हुए मोटी रकम वाले चहेते अधिकारियों को कमाऊ जेलों पर तैनात करा दिया है। सूत्रों की माने तो मंत्री स्वतंत्र प्रभार के एक बेटे ने पिछले दिनों फर्रुखाबाद के एक होटल में दो तीन दिन रहकर अधिकारियों को मनमाफिक तैनाती कराने की डील की थी। यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चास्वतंत है कि मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने स्थानांतरण कराने के साथ ही साथ स्थानांतरण रुकवाने तक के लिए भी अधिकारियो से जमकर वसूली की गई। जेेल विभाग के अधिकारियों का मानना है कि विभाग मुख्यमंत्री पास होने से अधिकारियों को काफी राहत थी लेकिन अब तो जीना मुहाल हो गया है। जेलमंत्री स्वतंत्र प्रभार के जेलों से होने वाली माहवार वसूली से जेल अफसरों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। यह अलग बात है मामला विभागीय मंत्री से जुड़ा होने की वजह से अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। वह मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

जेलमंत्री ने मामले पर साधी चुप्पी

कारागार विभाग में अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों से हो रही अवैध वसूली और उगाही के संबंध में जब जेलमंत्री धर्मवीर प्रजापति का पक्ष लेने का प्रयास किया गया तो काफी प्रयासों के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया। फोन पर भेजे गए एसएमएस का भी कोई जवाब नहीं मिला। उधर जेल मंत्री के विभागीय तबादलों में उगाही और हस्तक्षेप विभागीत अफसरों को रास नहीं आ रहा है। चर्चा है कि बीते दिनों जेलमंत्री के निर्देश पर मध्य सत्र के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी का तबादला कर दिया गया। विभागीय लोगो की मानें तो चहेते अधिकारी को मनमाफिक जेल पर तैनात किए जाने को लेकर यह कदम उठाया गया। यही नहीं मंत्री ने गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ के अधिकारियों से तबादला रुकवाने के लिए भी मोटी रकम वसूल किए जाने की चर्चा जोरों पर है।

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