जल सप्ताह का महत्त्व

डॉ दिलीप अग्निहोत्री


योगी सरकार ने करीब पचास योजनाओं में कीर्तिमान बनाये हैं। उनमें जल जीवन से सम्बन्धित परियोजनाएं भी शामिल हैं।नमामि गंगे से प्रारंभ हुई यह यात्रा सिंचाई और पेयजल जैसी योजनाओं तक विस्तारित हैं। इन सभी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में चालीस वर्षों तक जापानी बुखार का प्रकोप था। योगी सरकार ने इसका भी समाधान किया। पूरा बुंदेलखंड जल संकट से पीड़ित था। अब वहाँ जल जीवन मिशन योजना क्रियान्वित हो रही है। हर घर जल से नल का सपना साकार हो रहा है। दशकों से लंबित दर्जनों सिंचाई योजनाओं को पूरा किया गया। यह संयोग है कि राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू की पहली यूपी यात्रा जल जीवन से ही सम्बन्धित थी। राष्ट्रपति ने जनपद गौतमबुद्धनगर के इण्डिया एक्स्पो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में सातवें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया।

योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से इस क्षेत्र में व्यापक कार्य हुए हैं। जबकि  पिछली सरकारों ने जल जीवन से सम्बन्धित समस्या के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई थी बसपा और सपा को तो क्रमशः पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने व कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला था लेकिन इस समस्या का समाधान योगी सरकार के पांच वर्षों में संभव हुआ। इसका प्रमुख कारण था कि योगी आदित्यनाथ इस समस्या के प्रति सदैव संवेदनशील रहे है। सांसद के रूप में वह लोकसभा के साथ साथ तत्कालीन केंद्र व प्रदेश सरकारों के समय यह विषय उठाते रहे लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह एकमात्र समस्या नहीं थी। कुछ वर्ष पहले तक पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिछड़ा व बीमारू माना जाता था, जहां चिकित्सा,मूलभूत व ढांचागत सुविधाओं का अभाव था। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इन समस्याओं के समाधान का कार्य प्रारंभ किया। नरेंद्र मोदी ने काशी में कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। तभी से वह गंगा की निर्मल, अविरल बनाने का सपना देख रहे थे।

काशी और हल्दिया को उन्होंने जल मार्ग से जोड़ने की बात कही थी। य़ह एक बड़ा सपना साकार हुआ। आजादी के बाद पहली बार जल परिवहन की शुरुआत हुई था। यह सौगात केवल काशी को ही नहीं है। पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं इसका फायदा पश्चिम बंगाल तक दिखाई देगा। जितना सामान लेकर यह पानी का पहला जहाज आया ,उतना समान लाने के लिए सोलह ट्रक लगते। इस प्रकार जल परिवहन एक प्रकार की क्रांति लाने वाला साबित होगा। यह कार्य आजादी के बाद से ही करना चाहिए था। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। अब सौ से ज्यादा नेशनल जल मार्ग पर कार्य किया जा रहा है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सभी जल मार्ग से जुड़ेंगे। इससे इस पूरे क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन सभी को बढ़ावा मिलेगा। यह सब काशी की गरिमा के अनुरूप होगा। कालीन  कार्पेट का भी यह इलाका हब बन रहा है।

काशी ही नहीं, देश में परिवहन क्रांति नया अध्याय शुरू हुआ। नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा के उस पार रामनगर में नव निर्मित बहुउद्देशीय टर्मिनल राष्ट्र को समर्पित किया था। प्रधानमंत्री ने कोलकाता से चले मालवाहक जलयान एमवी रबीन्द्रनाथ टैगोर की अगवानी भी की थी। आजादी के बाद यह पहला अवसर था, जब कोई जल मालवाहक इतना सामान लेकर इतनी दूरी तक आया था। नरेन्द्र मंदी ने जल परिवहन के विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए जो नीतिगत फैसले किये थे,उन्हें जहाजरानी और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने रिकॉर्ड समय में पूरा कराया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने भी इस कार्य में उल्लेखनीय सहयोग दिया। वाराणसी का मल्टी मॉडल टर्मिनल परिवहन के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो रहा है। जल मार्ग विकास परियोजना के तहत बने इस टर्मिनल को हल्दिया-वाराणसी के बीच राष्‍ट्रीय जलमार्ग एक पर विकसित किया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण, पर्यावरण, कृषि और विकास से जुड़े मुद्दे न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। जल का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना है। जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय, देश में जहां केवल 3।23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी, वहीं अब करीब 10।43 करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। इस मिशन से गांव के लोगों को स्वच्छ पानी पीने के लिए मिल रहा है, जिससे जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। नल से घर-घर जल की आपूर्ति ने पानी की बर्बादी को तो रोका ही है, साथ ही उसके दूषित होने की सम्भावना को भी कम किया है।

हमारे देश में जल संसाधन का करीब अस्सी प्रतिशत भाग कृषि कार्या में उपयोग किया जाता है। अतः सिंचाई में जल का समुचित उपयोग और प्रबन्धन जल संरक्षण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप यह योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल संरक्षण तकनीक को अपनाने की भी परिकल्पना करती है। सरकार ने जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया है, जिसके अन्तर्गत पारम्परिक और अन्य जल निकायों का नवीनीकरण, बोरवेल का रीयूज और रीचार्ज, वॉटरशेड विकास और गहन वनरोपण द्वारा जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

शहरीकरण के फलस्वरूप वॉटर मैनेजमेण्ट और वॉटर गवर्नेन्स सिस्टम की आवश्यकता होगी। इस सिस्टम से जल का समान और सतत वितरण तथा रीसाइकलिंग जैसे कार्य प्रभावी रूप से हो सकेंगे। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि जल जीवन मिशन स्कीम के तहत अब तक सत्रह करोड़ से अधिक ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया है, जिनमें तीन करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को जल का कनेक्शन प्रदान किया गया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले साढे़ पांच वर्षों में प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं विन्ध्य क्षेत्र में जल का बेहतर प्रबन्धन हुआ है। राज्य में हिमालय से आने वाली ज्यादातर नदियां सिल्ट लेकर प्रदेश में प्रवेश करती हैं। इनका चैनलाइजेशन नहीं होने से कुछ छोटी नदियां लुप्तप्राय हो गई थीं। प्रदेश सरकार ने कन्वर्जेन्स के माध्यम से निरन्तर प्रयास करते हुए साठ से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करके उनमें जल प्रवाह सुनिश्चित किया है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना से काफी अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। प्रदेश में कानपुर में गंगा में बड़ी मात्रा में सीवर गिरने से मां गंगा प्रदूषित होती थीं। प्रदेश सरकार ने कानपुर में सीसामऊ में सीवर प्वाइण्ट को पूरी तरह से समाप्त किया। आज वही प्वाइण्ट, सेल्फी प्वाइण्ट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि कानपुर के जाजमऊ में गंगा नदी में जलीय जीव लुप्तप्राय हो गए थे। प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से वर्तमान में गंगा नदी में डॉल्फिन एवं अन्य जलीय जीव देखे जा सकते हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत तथा नगर निकाय में बड़े पैमाने पर अमृत सरोवर बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों में 58,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है, जिससे उत्तर प्रदेश में जल के संचयन के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। प्रदेश में जल संरक्षण के अनेक प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्य कराए जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र के गांवों में इस वर्ष के अंत तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने लगेगा।

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