2022 अंतिम चरण में हैं। इस वर्ष कोरोना का हौव्वा रहा,परंतु लोग ज्यादे सुकून में रहे। अस्पतालों में मास्क चला। सार्वजनिक स्थलों पर लोग बाग खुले घूमते रहे। त्योहार भी उत्साह से मैंने। माघ मेला,होली, रामनवमी मनाई गई । सावन और कार्तिक मे कल्पवास हुआ और परिक्रमा भी। अयोध्या में लाखो दीप जले। विभिन्न राज्यों में विधान सभा चुनाव भी झूम कर हुए। राजनैतिक सरगर्भिया़ खूब कायम रहीं। सत्ता परिवर्तन का खेला भी जम कर हुआ। आम आदमी पार्टी का बिस्तार हुआ। बीजेपी कुछ सिमटी।कांग्रेस ने पै़तड़ा बदला। पार्टी ने अध्यक्ष पद का चुनाव किया और राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से काश्मीर का पैदल मार्च “भारत छोड़ो यात्रा” के नाम से शुरू हुआ। आज सौ दिन यात्रा के बीत गए ।
सपा मुखर हुई,उपचुनाव में अच्छी सक्रियता दिखी,वहीं सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद चाचा भतीजा की नजदीकियां बढ़ीं। पंजाब में आप की सरकार का बनना,हिमाचल में कांग्रेस की सरकार का बनना और गुजरात में भाजपा की पुन: वापसी चर्चा का विषय रही। महाराष्ट्र मे शिवसेना का दो फाड़ होना। ऊद्धव ठाकरे के जनता दल आघाड़ी के सहयोग से बनी सरकार गिरी और एकनाथ शिंदे की भाजपा समर्थित सरकार का बनना नाटकीय गतिविधि रहा। जिस पर पूरे देश की नजर टिकी रही। ममता बनर्जी जिस तरह बंगाल में सफल हुई थीं। नितिश भी पैंतड़ा बदल कर अपनी सरकार बचाने में कामयाब हुए। बसपा कमजोर पड़ी और सिर्फ अपना वजूद टिकाने में लगी रही।
इस बीच पार्टी बदल कर नया चोला धारण करने वाले चर्चा में बने रहें। यह भाग दौड़ हर पार्टी में कमोबेष चली।
आध्यात्मिक जगत में जहां दो पीठों के स्वामी जगद्गुरु स्वरूपानंद के परम धाम जाने से अपूरणीय क्षति हुई। वहीं दो उत्तराधिकारी मिले। पुरी के शंकराचार्य की भारत यात्रा उल्लेखनीय रही। काशी में ज्ञानवापी प्रकरण कोर्ट में है। कथा प्रसंग इस वर्ष खूब होते रहे। पिछले दो तीन साल कोरोना के कारण जिन पर लगाम लगा हुआ था। सिनेमा के संगीत कार गायक लता मंगेशकर,बप्पी लहरी,पं शिवकुमार शर्मा के निधन से लोग दुखी थे। फिल्मी सितारा दिलीपकुमार का जाना खला।