Ranu Mandal
Analysis
अधूरे रह गये सपने, और घोड़े पर प्रेस लिखवाकर चलने की हसरत
अनिल कुमार जिंदगी सरल नहीं होती है। सोचो कुछ, होता कुछ और है। चाहो कुछ, मिलता कुछ है। खासकर हम जैसे निम्न मध्यमवर्गीय लोगों को अधूरे सपनों के साथ ही इहलोक से परलोक प्रस्थान कर जाना होता है। इंटरमीडिएट के बाद हम अपने दोस्त दिलीप के संग संगम नगरी प्रयागराज में पढ़ना चाहते थे, पर […]
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