##poet Iqbal
Litreture
कविता : लिखा परदेश किस्मत में वतन की याद क्या करना,
ग़रीबी में पला था सूखी रोटियाँ खाकर, बचपन से जवानी तक रहा था औरों का चाकर, क़िस्मत में लिखा था मेहनत मज़दूरी करना, ज़िन्दगी बीतती है ग़रीबों की झोपड़ी में रहकर। कहाँ से लाये वो दौलत जिसका पेट बिन निवाला है, दो जून की रोटी मात्र भर सपना जिसे उसने पाला है, नहीं देखा कभी […]
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