सजा टली है, राहुल दोषी रहेंगे! सूरत कोर्ट में पेशियां होंगी!!

के. विक्रम राव

अब तक राहुल गांधी को तीन बार अदालत से फटकार पड़ चुकी है। पहली बार तो माफी मांग कर जान बचायी। प्रधानमंत्री को कह दिया था : “चौकीदार चोर है।” नरेंद्र मोदी अपने को राष्ट्र का पहरेदार कहते थे। तब सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल को प्रताड़ित किया था। उन्होंने तत्काल क्षमा याचना की। फिर आया उनके पूर्वजों का अखबार “नेशनल हेरल्ड” का मामला जहां वित्तीय अपराध का इल्जाम लगा था। पटियाला हाउस कोर्ट से मां सोनिया के साथ वहां राहुल भी पचास हजार रुपए के मुचलके पर रिहा हुए थे। तीसरा कल (4 अगस्त 2023) जब सर्वोच्च न्यायालय ने लताड़ के साथ राहत भी दे दी। तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने असाधारण चेतावनी दी : “सार्वजनिक जीवन में रहने वाले को सावधानी बरतनी चाहिए।

राहुल ने कहा था : “मोदी उपनाम वाले सभी चोर क्यों होते हैं ?” ऐसी पुरानी राजनीतिक पार्टी के एक पूर्व अध्यक्ष को इस तरह की चेतावनी मिलना बड़ी ग्लानिदायिनी है। सर्वोच्च न्यायालय से अभी राहुल गांधी को सिर्फ अल्पकालीन राहत मिली है, पूर्ण रुपेण छुटकारा नहीं। मुकदमा तो सूरत की सेशंस कोर्ट में चलेगा। पेशी निरंतर होंगी। फौजदारी का जुर्म जो है। असली मुद्दे को राजनीतिक चालबाजी से धूमिल करने की कोशिश ज्यादा चल नहीं पाएगी। मामला न्यायालय का है, कानूनवाला है। जैसे “नेशनल हेरल्ड” के फर्जीवाड़े का मुद्दा। इस केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नई  दिल्ली कोर्ट से जमानत मिल गई थी। हेरल्ड केस में राहुल गांधी की जमानत उनकी बहन प्रियंका ने दी थी। वहीं सोनिया गांधी का बेल-बॉन्ड पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने भरा। इस वयोवृद्ध एंटोनी साहब का सुपुत्र अनिल एन्टोनी ही आज भाजपा की केरल इकाई का अध्यक्ष है। हालांकि सोनिया गांधी ने कहा कि “ये भाजपा सरकार विपक्ष को फंसाने का काम कर रही है। लेकिन हम डरने वाले नहीं।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री का नाम लेते हुए कहा : “मोदीजी झूठे आरोप लगाते हैं जिससे कि विपक्ष झुक जाए। लेकिन मैं और कांग्रेस पार्टी नहीं झुकेंगे।

क्या विडंबना है कि खुर्राट कांग्रेसी सब समझते हैं, फिर भी प्रचार कर रहे हैं कि मानो उनके 53-वर्षीय “तरुण” नेता कानूनी जंग जीत गए हों। अभी तो सूरत सत्र न्यायालय में सुनवाई चालू होगी। पेशी दर पेशी होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगी रोक दोष-सिद्ध तक ही है, जब तक जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा ठोकने वाले याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने कहा भी था : “अब इस मामले में कानूनी लड़ाई समाज के साथ मिलकर सेशंस कोर्ट में जारी रखेंगे।” यानी कि उसी कोर्ट में जहां राहुल गांधी ने मेट्रोपॉलिटन अदालत के फैसले को चुनौती दी थी और याचिका लगाई थी। यह मामला और दोष सिद्धि पर शाश्वत रोक लगाने का अनुरोध अभी लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दी गई सुविधा उनकी अपील पर सेशन कोर्ट का फैसला आने तक ही रहेगी। यानी राहुल गांधी को लेकर “मोदी सरनेम केस” मामले की सुनवाई सूरत की सत्र अदालत में चालू रहेगी। अर्थात गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनके “सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है” वाला आपराधिक मानहानि का मुकदमा कायम रहेगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने “चौकीदार चोर है” वाले बयान को लेकर अवमानना वाले मामले में माफी मांग ली थी। अतः वह तो खत्म है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामा में बिना किसी शर्त माफी मांग ली थी।

राहुल गांधी के अपने माफीनामे में शब्द थे : “कोर्ट का अपमान करने की न तो मेरी कोई मंशा थी और न ही मैंने जानबूझ कर ऐसा किया था। मैं अदालत की न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाना चाहता था। भूलवश मुझसे गलती हुई है। लिहाजा इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के माफीनामे को स्वीकार कर लिया। दरअसल राहुल गांधी ने तब एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला था और फ्रांस से किए गए राफेल डील में घोटाला करने का आरोप लगाया था। यह भी कहा था : “अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है।” इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी की नेता मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। उस हलफनामा में राहुल गांधी ने तीन गलतियां मानी थी। उन्होंने कहा था : “मैं कोर्ट के आदेश को ठीक से समझ नहीं सका था। मैंने जनता के बीच अपने नारे से कोर्ट के आर्डर को जोड़ा। मैं इसके लिए खेद व्यक्त कर चुका हूं।” हालांकि यह दलील सुप्रीम कोर्ट नहीं मानी।

चीफ जस्टिस ने राहुल गांधी से कहा था : “आप कोर्ट के हवाले से किसी पर आरोप कैसे लगा सकते हैं ?” शीर्ष अदालत ने कहा था : “खेद से काम नहीं चलेगा और माफी मांगनी पड़ेगी।” इस पर राहुल गांधी की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा : “खेद जताना भी माफी मांगना ही है। मैं डिक्शनरी दिखा सकता हूं।” राहुल गांधी ने कहा : “मेरे बयान का पर आशंका नहीं जताई जा सकती है। मैं हलफनामे में तीनों गलतियां मानता हूं और इसके लिए माफी मांगता हूं।” तब वह प्रसंग समाप्त हुआ था। फिलहाल अपनी दादी और पिता की भांति राहुल गांधी भी अब अदालत के दायरे में घिरे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक 1971-75 तक इंदिरा गांधी और 1985-88 तक बोफोर्स मामले में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर चमके थे। राहुल गांधी की तो यह इब्तिदा है। आगे खेल अभी शेष है।

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