रूस में जंगे-आजादी का एक नया दौर! पत्रकार कारा-मुर्जा बनाम पुतिन!!

के. विक्रम राव
के. विक्रम राव

रूसी पत्रकार व्लादिमीर कारा-मुर्जा को मास्को की अदालत ने कल (17 अप्रैल 2023) पच्चीस साल की कठोर सजा दे दी। गुनाह बस इतना रहा कि उसने लिखा था : “अब व्लादिमीर पुतिन ने स्तालिन के नरसंहार के रिकार्ड को तोड़ डाला है।” रूस में अक्सर चर्चित विषय रहा कि विश्व इतिहास में किसने सर्वाधिक हत्यायें की थीं ? एडोल्फ हिटलर या माओ जेडोंग या जोसेफ स्तालिन ने ! अब सोवियत कम्युनिस्ट तानाशाह का कीर्तिमान टूट गया है। मुर्जा ने यह भी लिखा था कि पुतिन अब जार सम्राट बनना चाहता है। लेनिन ने 1917 में जार साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर समाजवादी सोवियत गणराज्य की नींव डाली थी। शुरू से ही मुर्जा ने यूक्रेन की निहत्थी जनता पर अपने राष्ट्र रूस द्वारा आक्रमण की खुलकर भर्त्सना की थी।

भरी अदालत में इस पत्रकार-अभियुक्त ने कहा : “मैं देशभक्त हूं। पुतिन जनद्रोही है। वह क्रीमिया गणराज्य को जबरन रूसी कब्जे में लाया। अब यूक्रेन के बच्चों-औरतों पर बम बरसा रहा है।” जज को संबोधित करते हुये इस निर्भीक पत्रकार ने कहा : “जो कुछ मैंने पुतिन के विरुद्ध कहा वह सच है। जो भी आरोप मुझ पर लगे हैं मैं उन्हें हृदय से स्वीकार करता हूं। मेरे देश रूस को पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करने का कोई भी अधिकार नहीं है।” इस 41-वर्षीय मुर्जा ने जज को बताया कि सेंसरशिप कानून द्वारा रूसी राष्ट्रपति विरोध की आवाज को कुचलने की साजिश कर रहे हैं। “मैं रूसी सेना की आलोचना नहीं करता। मैने सिर्फ यह कहा कि रूसी हत्यारों ने यूक्रेन में नरसंहार भीषण पैमाने पर किया है।

मुर्जा ने ऐलान किया कि : “मैंने जो कुछ कहा और लिखा, वह मेरे स्वराष्ट्र रूस के हित में ही है।” मुर्जा पर यह इल्जाम लगा कि अमरीका के कानून मेग्निस्की विधेयक का संसद में पारित होने का उन्होंने स्वागत किया था। मुर्जा ने इसे स्वीकारा। सर्जी मेग्निस्की यूक्रेन में जन्मे अर्थशास्त्री थे जिन्हें पुतिन की सरकार ने पुलिस हिरासत में ही मार डाला था। अतः उन्हीं के नाम पर रचित इस अमेरिकी विधेयक में प्रावधान है कि जो भी रूसी अफसर मानवाधिकारों का हनन करेगा वह दण्ड का भागी बनाया जाएगा। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह कानून बनवाया था। पुतिन राज के काले पक्ष को यह घटना खूब उजागर करती है। यदि अपने जीवन में पत्रकार मुर्जा हंसकर यातनाएं भुगत रहे हैं और पुतिन के जुल्मों का मुकाबला कर रहे हैं तो केवल अपनी जीवनसंगिनी येवगेनिया की मदद से। पत्नी के साहसी शब्दों से। दो बार मुर्जा को जहर दिया था रूसी पुलिस ने। वे जिंदा बच गए। पति पर पत्नी बोली : “वे योद्धा हैं। निष्ठावान देशभक्त हैं। वे जीवनपर्यंत इस जालिम पुतिन हुकूमत को खत्म करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। मुझे नाज है मेरे शौहर पर। उनकी बहादुरी पर।” मुर्जा के पूर्वज पूर्वी रूस के तातारिस्तान के हैं।

पति की भांति वीरांगना येवगेनिया ने बताया कि तीन मसलों पर उनका परिवार संघर्षरत हैं। पुतिन ने सत्ता को फर्जी निर्वाचन कराकर हड़पा है। वह बादशाह बनना चाहता है। उसने विशाल पैमाने पर जन-उत्पीड़न शुरू किया है। उसने मीडिया पर सेंसरशिप थोप कर अभिव्यक्ति की आजादी नष्ट कर डाली। येवगेनिया ने बताया कि मुर्जा ने सोवियत रूस में असहमति पर लंबी फिल्म बनाई है। “प्रचार ही हम असहमत लोगों का मुख्य शस्त्र हैं। रूसी जनता की टैक्स की राशि चुराने वाले पुतिन को पराजित करना हर एक का कर्तव्य है।” पुतिन कम्युनिस्ट गुप्तचर संस्था केजीबी का आला अफसर था। वह रूस को विशाल गुलग (श्रम-कारावास) बनाना चाहते हैं। वहां केवल यातना और मृत्यु मिलती है। “पुतिन ने पहले ही क्रीमिया गणराज कब्जिया। अब यूक्रेन पर धावा बोला। अगला मोलडोवा राष्ट्र पर होगा। हम रुसियों को इस रक्तपिशाच को प्रतिबंधित करना होगा।” व्लादिमीर व्लादिमीरोविच कारा-मुर्जा का जन्म 7 सितंबर 1981 को एक रूसी राजनीतिक परिवार में हुआ था। वे पत्रकार, लेखक, फिल्म निर्माता हैं। वे लोकतन्त्र प्रेमी बोरिस नेमत्सोव के शागिर्द हैं। उन्हें 2018 में नागरिक साहस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे रूसी पत्रकार और टेलीविजन होस्ट व्लादिमीर अलेक्सेयेविच (1959-2019) के बेटे हैं, जो सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव लियोनिद ब्रेझनेव के मुखर आलोचक और बोरिस येल्तसिन के सुधारों के समर्थक रहे। उनके पिता लातवियाई क्रांतिकारी वोल्देमार बिसेनीक्स (1884-1938) के पड़पोते थे। मुर्जा ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास में बीए और एमए की डिग्री हासिल की। अपनी पत्नी येवगेनिया के साथ, उनके तीन बच्चे हैं। कारा-मुर्जा 16 साल की उम्र में एक पत्रकार बन गए थे।

उन्होंने रूसी मीडिया आउटलेट्स के लिए लंदन संवाददाता के रूप में काम किया। समाचारपत्र “नोवे इज़्वेस्तिया” (1997-2000), कोमर्सेंट (सितंबर 2000 से जून 2003) और रेडियो स्टेशन एको मोस्किवी सितंबर 2001 से जून 2003 में कारा-मुर्जा थे। कोमर्सेंट (जुलाई 2003 से अप्रैल 2004) के विदेशी मामलों के संवाददाता और बीबीसी के लिए वाशिंगटन संवाददाता (दिसंबर 2004 से दिसंबर 2005) बन गए। अप्रैल 2004 में उन्होंने वाशिंगटन ब्यूरो प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। वह लंदन स्थित वित्तीय प्रकाशन रूसी निवेश समीक्षा के 2002 में प्रधान संपादक थे। RTVi टेलीविज़न नेटवर्क में थे यह पद उन्होंने अगले नौ वर्षों तक संभाला। उनके मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सख्त सजा देने के लिए आग्रह किया था। वहां कैदियों को बैरकों के बजाय बंद कोठरी में रखा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मसला मानवाधिकार हनन के कारण उठेगा। आंदोलनकारी पत्रकार मुर्जा को हमारा लाल सलाम!!

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