उमेश तिवारी
काठमांडू/नेपाल। मुश्किलों में घिरे पाकिस्तान को विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिलनी थी। लेकिन फिलहाल इसमें देरी हो रही है। विश्व बैंक की तरफ से पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। वर्ल्ड बैंक, पाकिस्तान को 1.1 अरब डालर का कर्ज देने वाला था। भयानक आर्थिक तंगी में घिरे पाकिस्तान के लिए यह मदद एक बड़ी राहत लेकर आ सकती थी। लेकिन लगता है कि बैंक की तरफ से जल्द कोई मदद पाकिस्तान को नहीं मिलने वाली है। विश्व बैंक की तरफ से 1.1 अरब डॉलर की यह रकम दो बार कर्ज के तौर पर मिलने वाली थी।
अप्रैल में होगा कोई फैसला
वर्ल्ड बैंक ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए इस कर्ज की मंजूरी टाल दी है। इस कर्ज की मदद से पाकिस्तान ऊर्जा कर्ज और बाकी कर्ज को चुका सकता था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। जून 2022 से ही ये कर्ज अटके है। अब इस साल अप्रैल में ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों की तरफ से कहा गया है कि जो सबसे बड़ा मुद्दा है वह यह है कि अब ऊर्जा सेक्टर में कर्ज प्रबंधन और टैरिफ में बदलाव करना है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक अभी उसकी तरफ से इस दिशा में कोई एक्शन नहीं लिया गया है। वर्ल्ड बैंक और पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की तरफ से इस पर अभी कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
बाढ़ से अरबों का नुकसान
पाकिस्तान अभी तक साल 2022 में आई भयंकर बाढ़ के नुकसानों से उबरने की कोशिशों में लगा है। बाढ़ की वजह से देश को 30 अरब डालर की चोट लगी है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की तरफ से कहा गया है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 अरब डालर पर पहुंच गया है यानी सिर्फ तीन हफ्ते तक आयात का ही पैसा बचा है। पाकिस्तान इस समय सबसे बड़े आर्थिक संकट में है। हाल के कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई है। इसकी वजह से देश पर कंगाल होने का खतरा बढ़ गया है।
UAE से थोड़ी राहत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से बेलआउट पैकेज के लिए नौंवी बार रिव्यू किया गया है। इस रिव्यू के बाद 1.18 अरब डालर पाकिस्तान को मिलते। मगर इसे भी कुछ महीनों के लिए टाल दिया गया है। देश को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की तरफ कुछ राहत मिली है। यूएई ने तय किया है कि पाकिस्तान को दो अरब डालर का कर्ज देने का फैसला किया गया है। पाकिस्तान के आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस मदद से विदेशी मुद्रा भंडार को फिर से बनाने में और आयात में आसानी होने की उम्मीद है। देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूरी तरह से खत्म हो गया है और जरूरी सामानों की भी कमी हो गई है।