Relief to thousands of residents : हल्द्वानी में बस्तियां नहीं उजड़ेंगी, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, जानिए अदालत ने क्या कहा

हल्द्वानी में पिछले 10 दिनों से सड़कों पर चल रहा विरोध प्रदर्शन शांत हो गया है। गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर हल्द्वानी में हजारों परिवारों की निगाहें लगी हुई थी। जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी हुई खुशी से झूम उठे हैं। कोर्ट के फैसले के बाद अब हल्द्वानी के बनभूलपुरा में बसे हजारों परिवार बेघर नहीं होंगे। उत्तराखंड में रेलवे की जमीन से 4 हजार परिवारों को हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं। उनका पुनर्वास तो जरूरी है। ये होना चाहिए। 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया है। वहां से करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। हमने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। सात फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने इस केस की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस ने बहस की. उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बारे में बताया और कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है।

हल्द्वानी के रेलवे जमीन पर बसी बस्तियों के हजारों लोगों को छत मिलेगी या उजड़ेगी ! सुप्रीम कोर्ट का आज अहम फैसला

इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या रेलवे और राज्य सरकार के बीच जमीन डिमार्केशन हुई है? वकील ने कहा कि रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाईकोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कुछ अपील पेंडिंग हैं, लेकिन किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है। रेलवे की जमीन पर 4365 अवैध निर्माण हैं। बता दें कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर कई साल पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए और धीरे-धीरे बस्तियां बसती चली गईं।

दरअसल यह मामला साल 2016 में शुरू हुआ। संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण खाली करने को कहा था, लेकिन उस समय रेलवे की जमीन पर बसे लोगों की दलील थी कि उनके तथ्यों को नहीं सुना गया। जिसके बाद से यह मामला लगातार हाई कोर्ट में चलता रहा। बीते माह 20 दिसंबर को नैनीताल हाई कोर्ट ने रेलवे की भूमि में रह रहे अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देकर हटाने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी। आज सुप्रीम कोर्ट नैनीताल के हाई कोर्ट पर रोक लगा दी है।

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