भारत को इग्नोर कर नेपाल के विकास की कल्पना बेमानी, मंगल गुप्ता, नवनिर्वाचित एमाले सांसद
मोहम्मद
कृष्णा नगर/नेपाल। नेपाल में संपन्न प्रतिनिधि सभा तथा विधानसभा के चुनाव में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखे गए। नेपाली कांग्रेस यद्यपि कि बहुमत की ओर है और तय है कि सरकार फिर देउबा के ही नेतृत्व में बनेगी फिर भी भारत सीमा से सटे प्रतिनिधि सभा के कई क्षेत्रों में कम्युनिस्ट पार्टियां अपना परचम लहराने में कामयाब हुई। इसमें नेपाली कांग्रेस गठबंधन के प्रमुख सहयोगी माओवादी केंद्र भी है और ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट भी है। ओली की कम्युनिस्ट पार्टी एमाले का रुख भारत के विरोध में है वहीं कभी कट्टर भारत विरोधी रहे प्रचंड गुट का माओवादी केंद्र इस वक्त भारत के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है। चुनाव परिणाम पर गौर करें तो अब तक घोषित 118 सीटों के नतीजों में नेपाली कांग्रेस गठबंधन को 64 सीटें मिली है। सरकार बनाने के लिए 138 सीटों पर जीत जरूरी है। जिस तरह मतों की गिनती का रुझान सामने आ रहा है,उस हिसाब से निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के सहयोग से नेपाली कांग्रेस गठबंधन के सत्ता में वापसी के आसार हैं।
भारत सीमा से सटे चुनाव क्षेत्रों में जहां नेपाली कांग्रेस या मधेशी दलों के उम्मीदवार जीतते थे वहां इस बार ओली की पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। नेपाली कांग्रेस या मधेशी दलों के उम्मीदवारों को जीत के लिए एक वोट को तरसना पड़ा। सबसे चकित करने वाला चुनाव परिणाम यूपी सीमा से नेपाल के कपिलवस्तु जिले के क्षेत्र संख्या तीन का परिणाम रहा। यहां नेपाली कांग्रेस के पूर्व नेता मंगल प्रसाद गुप्ता ने एमाले उम्मीदवार के रुप में तीन बार के सांसद रहे नेपाली कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक प्रताप शाह को करीब साढ़े तीन हजार वोटों से पराजित किया है।
अभिषेक प्रताप शाह का परिवार नेपाल की राजनीति में राजशाही के वक्त से ही खासा दखल रखता है। अभिषेक के पिता और दादा भी नेपाल प्रतिनिधि सभा के सदस्य और मंत्री रहे हैं। गोरक्षनाथ मंदिर के प्रति अटूट आस्था रखने वाले इस परिवार का संवंध यूपी के सीएम आदित्यनाथ से भी है। नेपाल की राजनीति में अभिषेक प्रताप शाह के चुनाव में सांसद जगदंबिका पाल के खास दिलचस्पी की भी चर्चा खूब रही। विजयी उम्मीदवार मंगल प्रसाद गुप्ता लगातार तीन चुनावों से पराजित होते रहे हैं। वे नेपाल की राजनीति में कुशल रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। उनकी भारत के लगभग सभी बड़े नेताओं से अच्छे संबंध हैं। वे जिस एमाले पार्टी से विजई हुए हैं उसकी पहचान चीन परस्त की है लेकिन मंगल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि भारत को नजरंदाज कर नेपाल के विकास की कल्पना बेमानी है।