दो टूक : ग्लोबल हंगर इंडेक्स : कंगाल पाकिस्तान और श्रीलंका भी पेट भरने में हमसे आगे

राजेश श्रीवास्तव


लखनऊ। हर वर्ष की भांति इस बार भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट जारी कर दी गयी। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो वर्षों में भारत सात पायदान नीचे लुढ़क गया है। कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश भी अपनी जनता के पेट को भरने के स्तर में हमसे आगे निकल गये हैं। यह बात दूसरी है कि भारत ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दी है कि भारत की छवि खराब करने के लिए की गई कोशिश साफ देखी जा सकती है। भारत को ऐसे देश के रूप में दिखाया जा रहा है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर आरोप लगाया गया कि अध्ययन में जानबूझकर सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों को नजरंदाज किया गया है।

गौरतलब है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिग में लगातार दूसरे साल गिरावट दर्ज की गई है। 2022 की लिस्ट में हमें 107वीं रैंक मिली है। पिछले साल भारत 101 नंबर पर था। इस लिस्ट में कुल 121 देश शामिल हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल हमसे बेहतर स्थिति में हैं। पाकिस्तान की रैंकिग 99, बांग्लादेश की 84, नेपाल की 81 और श्रीलंका की 64 है। सिर्फ अफगानिस्तान ही 109वीं रैंक के साथ भारत से पीछे है। बीते दो सालों में भारत की स्थिति में 13 अंकों की गिरावट आई है। 2019 में हम 94वीं रैंक पर थे। इस सूची में 17 देश एकसाथ टॉप पर आए हैं। इनमें चीन, तुर्की और कुवैत शामिल हैं। इनका ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर 5 से कम है। पिछले साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 100 के पार रैंक जाने के बाद भी भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। सरकार ने इसे जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग बताया था।

सरकार ने दावा किया था कि इस इंडेक्स को तैयार करने में जो मेथडोलॉजी इस्तेमाल की गई है, वह साइंटिफिक नहीं है। मंत्रालय ने अपने बयान में फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021’ पर भी सवाल उठाए हैं। हंगर इंडेक्स में अंडरनरिश्मेंट का डेटा इसी रिपोर्ट से लिया गया है। मालुम हो कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स बताता है कि किसी भी देश में भुखमरी की स्थिति क्या है। इस लिस्ट को हर साल कंसर्न वर्ल्डवाइड और वर्ल्ड हंगर हेल्प नामक यूरोपीयन एनजीओ तैयार करते हैं। दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों का आंकलन कर इंडेक्स को तैयार किया जाता है। इस साल भारत का स्कोर 29.1 है। पिछले साल यह स्कोर 27.5 था। हर देश का ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर 3 डायमेंशन के 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है। ये तीन डायमेंशन हैं- अंडररिशमेंट, चाइल्ड मोर्टालिटी, चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन में दो कैटेगरी हैं- चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिग अंडरनरशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है।

जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है। चाइल्ड मोर्टालिटी का मतलब हर एक हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई। चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना। 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए। चाइल्ड स्टंटिग का मतलब ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों में स्टंटिग की परेशानी होती है। इन तीनों आयामों को 100 पॉइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। इस स्कोर में अंडरनरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टलिटी और चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन तीनों का एक-एक तिहाई हिस्सा होता है। स्कोर स्केल पर ० सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।

बैंकिंग सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

इस इंडेक्स को देखेंगे  तो पता चलता है कि पचास फीसद या इससे अधिक बच्चों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जबकि 35.0 से 49.9 फीसद बच्चों की स्थिति चिंताजनक है। 20.0 से 34.9 फीसद बच्चों की स्थिति गंभीर की दशा में है। हालांकि 10.0 से 19.9 फीसदी बच्चों की स्थिति सामान्य की पोजीशन में है। वहीं अगर अच्छी स्थिति की बात करें तो केवल 9.9 या इससे कम बच्चे ही इस आकलन में आते हैं। दिलचस्प यह है कि यह स्थिति तब है जब भारत विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है और गरीब कल्याण योजना के तहत 1150 लाख टन अनाज वितरित किया गया है। ऐसे में ग्लोबल हंगर इंडैक्स (अंतरराष्ट्रीय भूख सूचकांक) की ओर से जारी नई रिपोर्ट ने विवाद पैदा कर दिया है। आयरलैंड और जर्मनी के एनजीओ की ओर से जारी इस रिपोर्ट में भारत को पड़ोसी देश बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल से भी पीछे रखा गया है। 121 देशों की सूची में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया है जबकि पिछले साल स्थिति थोड़ी बेहतर बताई गई थी। इसीलिए सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसके अध्ययन पर सवाल उठाए हैं।

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