कविता : मदद करना सामाजिक दायित्व

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

कभी कभी मैं भिक्षुक बन जाता हूँ,
अपने लिये नहीं पर मैं कुछ माँगता हूँ,
सबके लिये सबकी मदद के लिये,
कुछ न कुछ कभी कभी माँग लेता हूँ।

कभी कुछ सामूहिक याचना करता हूँ,
कभी सबके, कभी जनहित के लिये,
अक्सर मैं हर किसी से मदद माँगता हूँ,
कोई मदद करे न करे पर माँगता हूँ।

जीवन में किसी को कुछ दे देना,
किसी की आवश्यक मदद करना,
सामाजिक उत्तरदायित्व निभाता है,
मुँह मोड़ लेना स्वार्थलिप्त बनाता है।

कविता : पतवार संभाल के चलाना पड़ता है

जैसे पौधों से खुशबू, सौंदर्य, फल
और छाया अपने आप मिल जाती है,
वैसे ही भलाई करने से आशीर्वाद
की कृपा स्वतः प्राप्त हो जाती है।

परेशानी आने पर धैर्य, अधिकार
मिलने पर विनम्रता, क्रोध आने पर
शांत रहें और धन आये तो दान देना
यही जीवन का प्रबंधन कहलाता है।

आज किसी की मदद यदि कर दोगे,
कल वही मदद लौट कर आ जायेगी,
आदित्य समाजिकता का यह बंधन,
पारस्परिक सम्बंध को भी सुधारेगी।

 

Litreture

लघु-कथाकार नोबेल विजेताः एलिस का चला जाना !

के. विक्रम राव साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार की विजेता एलिस मुनरो का कल (15 मई 2024) कनाडाई नगर ओंतारियों में निधन हो गया। वे 92 वर्ष की थीं। मतिभ्रम से पीड़ित थीं। लघु-कथा लेखिका के रूप में मशहूर एलिस की समता भारतीय लघुकथाकार मुल्कराज आनंद और आरके नारायण से की जाती है। रूसी कथाकार […]

Read More
Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More