कविता : पतवार संभाल के चलाना पड़ता है
धूप छाँव से डरने वाले कृषक की फसल बो कर तैयार कहाँ होती है, डर डर तैराकी की कोशिश करने वाले की नदिया पार कहाँ होती है। हवाई जहाज़ उड़ाना सीखने वाले पाइलट को दिल थामना पड़ता है, नदी में नौका खेने वाले नाविक को, पतवार सम्भाल के चलाना पड़ता है। पिपीलिका दाने ले लेकर … Continue reading कविता : पतवार संभाल के चलाना पड़ता है
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