महारास की रात.. शरद पूर्णिमा की रात

नौ अक्टूबर की रात है शरद पूर्णिमा की रात
श्रीकृष्ण ने रचाया था महारास
जब समूची प्रकृति व देवता बने गोपी
रात मे बेमौसम के फूल खिले महं महं धरती महकी


बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

भगवान श्रीकृष्ण ने आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को ही महारास रचाया था। जब वंशी की धुन सुन कर गोपियां बेसुध हो यमुना तट पर पहुंच गईं। जिनमे कुछ के श्रृंगार अधूरे थे,कुछ के पूरे। जिन्हें परिवार के लोगों ने रोक दिया वे वहीं भाव समाधि मे चली गईं। श्रीकृष्ण ने योगमाया से कहा सबका अधूरा श्रृंगार पूरा करो। फिर सजी धजी गोपियां पहुंची। वंशी वादन के साथ महारास शुरु हुआ। यह क्या हर गोपी के साथ एक एक कृष्ण आगए। महारास शुरु हुआ तो देवता भी गोपी रूप मे आपहुंचे। फिर तो अद्भुत दृश्य हुआ। पुष्प जो रात मे नहीं खिलते थे,सब खिल उठे। प्रकृति सुगंध से भर गई।

यमुना के भीतर चंद्र की परछाई सजने लगी। नृत्य और संगीत का समां बंध गया। नृत्य गहराता गया… भाव समाधि लगती गई। किसी को अपने तन वदन का होश न रहा। अचानक राधा को मान हुआ.. थकान महसूस हुआ कृष्ण ने कहा पीठ पर बैठ जाओ.. राधारानी घुटनों के बल झुके कृष्ण पर, ज्यों आरुढ़ होना चाहीं… श्रीकृष्ण अंतर्धांन होगए। अब तो कृष्ण के वियोग मे गोपियां रोने लगी। हिचकियां लेने लगीं। राधा बारंबार वेहोश हो जातीं.. यह देख श्रीकृष्ण फिर प्रगट हुए। संयोग और वियोग की दोनो दशायें प्रेम का परिपाक कराने लगीं। कामदेव आया था दृश्य देखने.. उसकी माया नहीं चली।

गोपियां तो श्रीकृष्ण को पहले ही मन दे चुकी थीं। मन्मथ को किसी का मन मिला ही नहीं। निराश होकर भाग खड़ा हुआ। यह विशुद्ध प्रेम की लीला थी। यहां भला वासना का प्रवेश कैसे संभव था? गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति विशुद्ध प्रेम उन्हें ब्रह्मानंद मे पहुंचा चुका था। परम योगेश्वर श्रीकृष्ण की इस लीला मे कितना समय बीत गया,पता ही नहीं चला। रात बहुत बड़ी हुई जिसमे समूची प्रकृति रस सागर मे गोते लगाने लगी। चंद्रमा की किरणें रात भर अमृत वर्षा कराती रहीं।

शरद पूनो की रात खीर और त्राटक की रात

शरद पूर्णिमा को चंद्रमा से अमृत झरता है,इसीलिए लोग खीर बना कर रात मे खुले आसमान के नीचे रख कर जाली से ढक देते हैं। ताकि चंद्रमा की शीतल किरणें उसमे पड़ें‌। सुबह उस खीर का सेवन करते हैं। एकादशी से पूर्णिमा तक योग साधक चंद्रमा पर त्राटक दस मिनट नित्य लगाते हैं,जिससे नेत्र की ज्योति बढ़ती है। त्राटक का मतलब बिना पलक झपकाये चंद्र को एकटक देखना।

Religion

JYOTISH: ये 12 नायाब रत्‍न दूर कर सकते हैं 12 प्रकार की बीमारियां

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद रत्‍नों को प्रकृति का हमें दिया गया अनमोल और बेजोड़ उपहार माना जाता है। ज्‍योतिष विद्या में रत्‍नों का विशेष महत्‍व बताया गया है। विभिन्‍न प्रकार के रत्‍नों को धारण करके जहां ग्रह दशा और दरिद्रता दूर की जा सकती है। वहीं इन्‍हीं रत्‍नों के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍याओं […]

Read More
Religion

साहस, पराक्रम और नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए घर के इस दिशा में लगाएं शमी

शमी का पौधा आप ऐसे लगाएंगे और रखेंगे ध्यान तो जीवन में आएगी सुख, शांति और समृद्धि क्या शमी के पौधे को दक्षिण दिशा में रखा जा सकता है? ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र वास्तु के अनुसार घर में किसी भी पौधे को सही दिशा में लगाने की सलाह दी जाती है। खासतौर पर जब हम […]

Read More
Religion

वरुथिनी एकादशी आजः भगवान विष्णु को लगाएं ये भोग, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर कामदा एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार यह तिथि 19 अप्रैल को है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है […]

Read More