विभागीय उदासीनता की वजह से स्टेट चैंपियन बनने से चूक गये महराजगंज के 48 खिलाड़ी

  • आखिर कहां चला जाता है खेल के नाम पर वसूली का पैसा?
  • मुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत करेंगे अभिभावक, करेगे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

महराजगंज । बच्चों में बचपन से ही खेलों के प्रति रूझान विकसित कर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग हर साल क्रीडा प्रतियोगिता करता है। जिसमें प्रत्येक विद्यालय 1000 रूपये की धनराशि वसूली की चर्चा आम है। हालांकि विभागीय दबाव के कारण कोई भी शिक्षक इस संदर्भ में मुंह खोलने को तैयार नहीं है। फिर भी नाम न छापने की शर्त पर कई प्रभारी प्रधानाध्यापकों ने इस बात की पुष्टि किया कि हर साल क्रीडा प्रतियोगिता के नाम पर प्रत्येक विद्यालय से एक हजार की वसूली की जाती है। शिक्षक भी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए चंदा देते है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार खिलाड़ियों को नौकरी व पुरस्कार देकर खेल को बढ़ावा देने की दावा कर रही है।

लेकिन प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले ‘बेसिक के बाल खिलाड़ियों’ की गरीबी राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा समारोह में शामिल होने की राह में बाधा बन गई। सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर मंडल के बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में चैम्पियन होने के बावजूद भी महराजगंज के 48 खिलाड़ी लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में महज इसलिए नहीं जा पाए क्योंकि उनके पास लखनऊ आने – जाने का किराया भाड़ा विभाग के पास नहीं था। इन चैम्पियन खिलाड़ियों को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग की है। शासन ने इसके लिए धन भी दिया था, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सभी मंडल चैम्पियन बच्चों को लखनऊ ले जाने में हाथ खड़ा कर दिया। विभाग का कहना है कि शासन से कम धनराशि मिली थी। जिले स्तर पर प्रतियोगिता कराने में ही धन खर्च हो गया।

स्टेट लेवल प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किए थे महराजगंज के 91 बच्चे

शासन के निर्देश पर हर साल बेसिक शिक्षा विभाग एनपीआरसी, ब्लाॅक, जनपद, मंडल व राज्य स्तर पर बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन कराता है। जनपद के बाद गोरखपुर मंडल स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में जिले के 91 बच्चों ने चैंपियन बनने के बाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया । लेकिन विभागीय उदासीनता से 48 मंडल चैंपियन लखनऊ प्रतिभाग ही नहीं कर पाए।

खो-खो व कबड्डी की टीम ही नहीं जा पाई

राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीडा प्रतियोगिता में परिषदीय चैंपियन बच्चों को प्रतिभाग कराने के लिए शिक्षक कई दिन से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने उनकी बातों को अनुसना कर दिया। कुछ शिक्षक बच्चों की उत्सुकता व उनके सुनहरे भविष्य के लिए अपने खर्च से लेकर ट्रेन से लखनऊ पहुंचे। वहीं, खो-खो व कबड्डी की टीम जा ही नहीं पाई। कुछ अन्य शिक्षकों का दिल नहीं माना तो वह जनपदीय हाकी टीम को लेकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के शुभारंभ होने के दिन पन्द्रह फरवरी को सुबह किसी तरह व्यवस्था बनाकर ले गए, लेकिन 48 मंडल चैंपियन बच्चों की बदनसीबी एक बार फिर उनकी तरक्की में विभागीय लापरवाही से बाधा बन गई।

विभाग की लापरवाही व संवेदनहीनता उजागर

मंडल स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा में महराजगंज के बच्चों के बदौलत बेसिक शिक्षा विभाग को 94 हजार रूपये एडी बेसिक कार्यालय से मिलना था। इसका बिल-बाउचर लगाकर भुगतान हासिल करना था, लेकिन तीन चार दिन पहले तक बेसिक शिक्षा विभाग एडी बेसिक के वहां से यह धनराशि नहीं ले पाया। यह धनराशि मिल गई होती तो इससे भी बच्चे लखनऊ जा सकते थे। BSA व सभी बीईओ को चलने के लिए शासन हर माह करीब एक दर्जन गाड़ियों का किराया देती है। इन वाहनों से भी मंडल चैंपियन बच्चों को लखनऊ भेजा जा सकता था, क्योंकि शासन बेसिक शिक्षा के नाम पर जितना भी खर्च करती है उसका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा व उनकी खेलकूद प्रतिभा को निखारना एक मात्र उद्देश्य है। लेकिन, शासन की मंशा के विपरित जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में हर वह काम हो रहा है कि जिससे छात्रों का मनोबल टूट रहा है। प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

जिलाधिकारी ने दिया जांच का आदेश

डीएम अनुनय झा ने बताया कि अगर ऐसा है तो गंभीर मामला है। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी है। इस मामले में BSA से जवाब तलब किया गया है।

बस से भेजे गए हैं खिलाड़ी : BSA

इस मामले में BSA श्रवण कुमार गुप्त का कहना है कि राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में चयनित खिलाड़ियों को बस से भेजा गया है। कुछ बच्चों को उनके माता पिता ने जाने से मना कर दिया है, इसलिए वह नहीं जा सके। टीम के साथ शिक्षक भी गए हैं। बच्चों को कोई असुविधा नहीं है।

आखिर कहां चला जाता है खेल के नाम पर वसूली का पैसा?

प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में जिले के होनहार खिलाड़ियों के प्रतिभाग न कर पाने से शिक्षक नाराज है। शिक्षकों ने कहा कि आखिर हर साल लगभग तीस से चालीस लाख रूपये चंदे में वसूली होती है। आखिर यह पैसा कहां जाता है और कौन है जो इस पैसे को डकार जाता है? इस पर शासन स्तर से जांच होनी चाहिए तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत

अभिभावक राम जतन मौर्य ने कहा कि प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता से बच्चों को बंचित कराने वाले अधिकारियों की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मिलकर किया जाएगा। इस मामले में जो भी दोषी होगा वह किसी भी कीमत पर अब बचेगा नहीं।

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