नौकरी की तलाश मे अधिक उम्र होते युवा

  • समय से विवाह न करने पर लड़खड़ा रही फेमिली लाईफ
  • लिव इन रिलेशन’ का निकल रहा बाई पास
  • अधिक उम्र मे विवाह से संतान मे बिलंब या संतान हीनता
  • फेमिली एडजस्टमे़ट भी लड़खड़ा रहा
     
  • डाईवोर्स की बढ़ती समस्या
  • बुजुर्ग हताश और हतप्रभ
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

जीवन मे प्रतिपल हमे कुछ नया अनुभव और नई सीख मिलती है। युग परिवर्तंन के साथ सोच भी बदल रही। युवाओं के बढ़ते जारहे उम्र के साथ विवाह मे विलंब होना भी उन्हें एक दूसरे के साथ एडजस्ट होने मे बाधा पहुंचा रहा। आज प्राईवेट सेक्टर भी कम उम्र के युवाओ को प्रिफर कर रहा है। पढ़ाई के चोथे साल में कैंपस सेलेक्सन मे २४-२५ साल के तेज तर्रार युवा का तुरत सेलेक्शन होजारहा। जब कि अट्ठाईस -तीस -पैंतीस को कोई अपनी कंपनी में रखना नही चाहता। गैप का एक्सपीरियंस प्रमाणपत्र न हो तो नौकरी मिलना भी कठिन है‌। क्योंकि एंप्लायर सोचता है बंदा थोड़ी भी सख्ती पर इरीटेट( रियेक्सन) कर जाएगा। इसलिए बीटेक, एमटेक,बीबीए और एमबीए करने के बाद यदि कुछ साल की गैप हुई तो नौकरी फुर्र( नहीं मिलने वाली)।

पारंपरिक पढ़ाई व प्रतियोगी परीक्षा

पारंपरिक पढ़ाई मे एम ए पीएचडी जीआर एफ, या बीएड बीटीसी टीईटी, टीजीटी, पीजीटी आदि करते तीस साल होजारहे। नौकरी ढूंढ़नें प्रतियोगिता की तैयारी में तीन से पांच साल लग रहे तब तक युवा बत्तीस -पैतीस ही नहीं अड़तीस चालीस के होजारहे। प्रतियोगिता परीक्षा लीक होजाना ,पास होने के बावजूद नियुक्ति पत्र पाने मे दो साल लग जाना या कोर्ट मे अटक जाना युवाओं को डिप्रेस़न दे रहा। जिससे न नौकरी मिल पारही और न शादी होपारही है, परिणाम स्वरूप अधिकांश लड़के और लड़कियां कुंवारे बैठे रह जारहे हैं। जो इस उम्र मे विवाह कर रहे हैं उनका वैवाहिक जीवन के सफल होने की संभावना तीस फीसदी ही रह जारही है‌। बेदोजगारी ने भी युवाओं को डिप्रेशन में ला दिया है‌।

बायलोजिकल परिवर्तन

उम्र बढ़ने के साथ शरीर मे परिवर्तन बायलोजिक असर का होना भी सहज है। 16 के बाद ही युवा -युवती एक दूसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। जो चौबीस तक जाते पराकाष्ठा पर आजाता है। समय से विवाह न होने से सामाजिक विकृति भी जन्म लेरही। ‘लिव इन रिलेशन’ ने सोशल लिंविग पर जबर्दस्त चोट की है। फेमिली लाईफ लड़खड़ा रही है और ‘तू नहीं और सही और नहीं और सही’ के फार्मूले पर चलने के कारण चारित्रिक दोष पैदा होरहा है‌।पिता -माता इस गंभीर परिस्थिति को काबू कर पाने मे असमर्थ और निराश होते जारहे हैं। इन सबके लिए युवा- युवतियां बिना नौकरी या बिना पसंद के शादी न करने की तगड़ी दलील दे रहे। इस ब्रह्मास्त्र को टाल पाने में मां- बाप असमर्थ होरहे हैं और किसी अनहोनी की आशंका में भयभीत हो मौन होजारहे हैं।

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