डॉ दिलीप अग्निहोत्री
मुंबई में विपक्षी इंडिया की बैठक में जुड़ेगा भारत जीतेगा इंडिया थीम तय की गई थी। इसके पहले राहुल गांधी ने मोहब्बत की दुकान शुरू की थी। लेकिन गठबंधन के कई दलों का आचरण विभाजनकारी है। इसमें हिन्दुओं के प्रति नफरत है। ये इं।डि।या में रह कर नफरत की दुकान चला रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में ऐसी ही नफरत की दुकान खोली है। जब से वह दलबदल कर सपा में पहुँचे हैं,तभी से हिन्दू विरोधी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्हें इसका पुरस्कार में मिल रहा है। श्रीरामचरित मानस पर अनर्गल प्रलाप किया। तुरन्त ही राष्ट्रीय महासचिव बना दिए गए। इसके बाद कहा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है। यह धोखा है। उनके इस बयान की परिधि में सपा के हिन्दू भी शामिल थे। इसके बाद भी सुप्रीमों को उनसे कोई शिकायत नहीं। डीएमके भी विपक्षी इं।डि।या का प्रमुख घटक है। अब उसके युवराज ने भी हिन्दुओं पर हमला बोला है। स्टालिन मुख्यमंत्री है। उनका बेटा मंत्री है। उसने कहा कि मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। सनातन शब्द संस्कृत से आता है। ये समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उदयनिधि सनातन उन्मूलन कार्यक्रम में बोल रहा था। उसने कार्यक्रम के नाम की भी तारीफ की।
चिलकुर बालाजी मंदिर के पुजारी रंगराजन ने कहा कि उदयनिधि को अपने पिता मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से पूछना चाहिए कि माइलाई पोन्नुस्वामी शिवग्नानम कौन थे। उन्होंने सिलापती खलम पर कई किताबें लिखीं। उदयनिधि को अपने पिता से द्रविड़ सभ्यता के बारे में जानना चाहिए, महापोशी के बारे में जानना चाहिए, इसके बाद सनातन धर्म के बारे में बार करनी चाहिए। उदयनिधि को समझना चाहिए कि अगर करुणानिधि, महापोशी की पूजा नहीं करते तो उन्हें तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिलती। इस सच को ध्यान रखिए। मतलब साफ है इं।डि।या की थीम है जुड़ेगा भारत ।इसके घटक ही बहुसंख्यकों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
यहां परिवारवादी दलों के स्वरूप पर भी ध्यान देना चाहिए। इसमें पार्टी सुप्रीमों का बेटा ही युवराज होता है। सुप्रीमों मुख्यमंत्री हों तो कहना क्या। तब पार्टी और सरकार दोनों में युवराज सर्वाधिक प्रभावशाली होते हैं। स्टालिन के बेटे ने जो कहा वही पार्टी का विचार है। यह विचार इं।डि।या का हिस्सा हैं। जिसमें हिन्दुओं के उन्मूलन नाम से सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। हिन्दू धर्म को मिटाने का विलाप किया जाता है। इसी प्रकार क्षेत्रीय दल में महासचिव भी पार्टी के विचार को ही प्रकट करता है। सुप्रीमों उसके किसी बयान को अनुचित कहें,या उस बयान को महासचिव का निजी बयान बताए, तो बात अलग है। स्वामी प्रसाद के किसी बयान पर अखिलेश यादव ने ऐसा कुछ नहीं किया। रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद के बयान पर अखिलेश ने भी सरकार और भाजपा से ही स्पष्टीकरण मांगा था। वैसे योगी आदित्यनाथ के बयान से स्वामी प्रसाद की बहुत फजीहत हुई थी। बाद में स्वामी प्रसाद के बयानों को महत्व मिलना ही बंद हो गया।
वस्तुतः UPA ही इंडिया नाम धार कर लोगों के सामने हैं। UPA घोटालों और तुष्टीकरण में बदनाम हुआ था। तब नव जोत सिंह सिद्धू ने ऐसा फिल्मी गाने से UPA और कांग्रेस की बदनामी का उल्लेख किया था। उस समय वह भाजपा में थे। फिर जिसे बदनाम बताया था, उसी में चले गए। UPA सरकार के प्रधानमंत्री ने भी देश के संसाधनों पर वर्ग विशेष का ही पहला अधिकार बताया था। यह तुष्टीकरण की हद थी। तब आतंकियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने से बचा जाता था। कुछ लोगों की आंखों में आंसू आ जाते थे। कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर होती थी। UPA के प्रधानमंत्री कहते थे कि पाकिस्तान भी आतंकवाद से पीड़ित है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद का झूठा प्रचार दुनिया में किया था। आज UPA के वही लोग इंडिया नाम ओढ़कर सामने हैं। पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के धार्मिक जुलूस प्रतिबंधित किए जाते हैं। जुलूस निकले तो पथराव होते हैं। बिहार का उदहारण दिलचस्प है। नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, तब तक सब ठीक था। शांति सुशासन था। वही नीतीश जब राजद की शरण में पहुँचे बिहार में तुष्टीकरण होने लगा। हिन्दुओं के जुलूस पर पथराव होते हैं। नीतीश ने अनेक हिन्दू त्योहारों की छुट्टी समाप्त दी। यह विपक्षी इं।डि।या का वास्तविक रूप है। जिसमें मोहब्बत नहीं, हिन्दुओं के प्रति नफरत है।