रानी कर्णावती ने हुमायूं को भेजी थी राखी
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। कुछ दशक पहले और आज के दौर में शायद बहुत बदलाव नज़र आ रहा है। अब तो जात-पात की होड़ मची हुई और एक-दूसरे पर तंज कसने में पीछे नहीं हैं कि वह तो मुसलमान है और वह हिन्दू है। 31 अगस्त 2023 को रक्षाबंधन पर्व पूरे देश व प्रदेश में मनाया जा रहा है। बहन भाई के कलाई में राखी बांधकर उनकी रक्षा के लिए दुआएं मांगती हैं। यह एक ऐसा पर्व है कि हर समाज के लोग इस पर्व पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
कुछ दशक पहले मूड़ कर नज़र डालें तो रानी कर्णावती के लिए किया युद्ध1527 ई. में खानवा के युद्ध के बाद 1528 ई. में महाराणा सांगा का स्वर्गवास हो गया। 1534 ई. में जब गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ गढ़ पर आक्रमण किया तब रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी तो मुग़ल बादशाह हुमायूं ने राखी की लाज रखी और सुल्तान बहादुर शाह के छक्के छुड़ा दिए।
रक्षा बंधन का पर्व तो भाई बहन के प्रेम के त्योहार माना जाता है, लेकिन जब मेवाड़ की बात आती है तो मेवाड़ के शौर्य के इतिहास के पन्ने भी सामने आते हैं। ऐसा ही एक किस्सा राखी से भी जुड़ा हुआ है। जानकार बताते हैं कि मेवाड़ की रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ने में असमर्थ थी। लिहाजा उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर मेवाड़ की रक्षा करने का अनुरोध किया। यह सुनकर मुग़ल बादशाह हुमायूं ने जात-पात को दरकिनार करते हुए राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए प्रदेश की रक्षा की।