सम्मिलित हुई देश के 13 राज्यों से 42 समकालीन कलाकारों की  76 कलाकृतियां

24 को दोपहर बाद होगई मेट्रो परिसर में  कैलीग्राफी वर्कशॉप


लखनऊ। वर्ष 1973 से प्रारंभ सेव टाइगर प्रोजेक्ट के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मेट्रो रेल स्टेशन हजरतगंज लखनऊ में दस दिवसीय अखिल भारतीय पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रदर्शनी “टाइगर इन मेट्रो” का आज शुभारंभ  किया गया। उद्घाटन संयुक्त रूप से सुशील कुमार प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, वास्तुकला संकाय की डीन डॉ.वंदना सहगल वरिष्ठ फोटोग्राफर अनिल रिसाल सिंह ने किया गया। प्रदर्शनी में आने वाले कला प्रेमियों के लिए हज़रतगंज मेट्रो स्टेशन के गेट नम्बर एक से आने की व्यवस्था की गई है। प्रदर्शनी में देश के लगभग 13 राज्यों से 42 चित्रकार और छाया चित्रकारों की 76 कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। इस अवसर पर सुशील कुमार ने कहा कि ‘फोटो प्रदर्शनी ‘टाइगर इन मेट्रो’ का आयोजन लोगों को टाइगर की जनसंख्या के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए किया गया है। टाइगर का संरक्षण मात्र एक प्रजाती को बचाना भर नहीं है बल्कि इससे हमारे ग्रह की सेहत भी सुधरेगी। टाइगर को बचाने के लिए हम जंगलों का विस्तार करेंगे जिससे जलवायु में तो सुधार होगा ही साथ ही जंगल कटने से विलुप्त होती प्रजातियों को भी फिर से जीवन मिलेगा। हम सब को टाइगर की जनसंख्या बढ़ाने को लेकर बेहद संवेदनशील होकर सोचना होगा और इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

“टाइगर इन मेट्रो” शीर्षक से इस प्रदर्शनी से एक विशेष विचार जुड़ा हुआ है। हमें बाघ के जीवन के प्रति संवेदनशील बनना होगा, क्योंकि बाघ इस प्रकृति का एक प्रमुख वन्यजीव है। ये प्रदर्शनी इन्हें बचाने के प्रयास के साथ एक महत्त्वपूर्ण संदेश भी है ।आम जनमानस में पर्यावरण व वन्यजीवों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य हेतु इस प्रदर्शनी में देश के समकालीन कलाकारों, छायाचित्रकारों  ने अपनी कला के माध्यम से बाघ को कैनवास पर उकेरा है। इसके साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों ने टाइगर को अपने कैमरे में कैप्चर किया है। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में बाघ परियोजना शुरू की गई थी। उसके बाद बाघ को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में राष्ट्रीय पशु का दर्जा भी दिया गया। इस परियोजना से बाघों की संख्या बढ़ी इसी प्रोजेक्‍ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर इस विशेष प्रदर्शनी के माध्यम से जश्न मना रहे हैं।

चूंकि कलाकार इस संसार का एक बहुत ही संवेदनशील और विशेष सामाजिक प्राणी होता है उसकी समाज के प्रति एक विशेष ज़िम्मेदारी भी होती है जिसे वह अपने विचारो को कला के माध्यम से लगातार निभाते हैं । इस प्रदर्शनी में देश भर से 20 चित्रकार और 22 छायाचित्रकार अपने लगभग 76 कृतियों के माध्यम से जुड़े हुए हैं। सभी ने बाघ को अपने अपने विचारों के साथ कैनवस पर प्रस्तुत किया है। चित्रकारों में नई दिल्ली से अनूप कुमार चाँद, उमा शंकर पाठक, अनिल बोडवाल, बिहार से अबधेश करन मधुबनी, मनोज कुमार हंसराज, जमशेदपुर से फरहाद हुसैन, उत्तर प्रदेश से अमित कुमार, संजय कुमार राज, सर्वेश पटेल, जितेंद्र कुमार, दीपेंद्र सिंह, राहुल शाक्या, श्रीयांशी सिंह, झारखंड से संजय शर्मा, मध्यप्रदेश से मनीषा अग्रवाल, उड़ीसा, गोपाल समांतरे, कन्नु बेहेरा, छत्तीसगढ़ से ऋषभ राज, महाराष्ट्र से रामचंद्र खराटमल, राजस्थान से लाखन सिंह जट हैं। छाया चित्रकारों में उत्तर प्रदेश से डॉ रजत देशी, अशोक दत्ता, विकास बाबू, अजेश जायसवाल, अरुणा सिंह, जसमीत सिंह, आदित्य हवेलिया, अनिकेत, अरण्य हवेलिया, प्रखर कृष्न, लोकेश रस्तोगी, सिद्धार्थ सिंह, वत्सल कक्कड़, वाई एस मालिक, डॉ अनीता सिंह, आकाश मोहन, आकर्ष चंदेल, रजनीश श्रीवास्तव, एस एच उस्मानी , कर्नाटक से दिनेश कुंबले, कोलकाता से डॉ सुरेन्द्र नाथ मित्रा, धृतिमान मुखर्जी हैं।

क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना द्वारा संयोजित इस प्रदर्शनी की परिकल्पना लखनऊ पुस्तक मेले के संयोजक मनोज एस चंदेल की है। उन्होंने बताया इसे साकार रूप देने के लिए मैंने उन कलाकारों से संपर्क किया, जो विशेष रूप से वन्य जीवों पर ही कार्य करते हैं। जब प्रदर्शनी के शीर्षक पर सोच रहा था तो अनेक शीर्षक मन में आए, लेकिन एक शीर्षक ऐसा भी आया जो आपके सामने रखा गया है ” टाइगर इन मेट्रो ” शीर्षक का अर्थ यहाँ यह है की मेट्रो रेल के अलावा तमाम मेट्रो सिटीज। जैसा की अक्सर यह सुनने में आता है की शहर में कोई वन्य जीव आ गया है वहाँ तो वे वन्य जीव अपने नैसर्गिक ठौर की तलाश में भटकते हुए आ जाते हैं, लेकिन इस प्रदर्शनी के माध्यम से हम बाघ को मेट्रो सिटीज में ला रहे हैं। इसके पीछे का अर्थ केवल इस वन्य जीव के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता है। एक महत्त्वपूर्ण संदेश है । इस शीर्षक की सुंदर लेखन के रूप में युवा चित्रकार, कैलीग्राफर दीपेंद्र सिंह ने किया। साथ ही प्रदर्शनी को विशेष कलात्मकता प्रदान करने के लिए चित्रकार धीरज यादव का सहयोग मिला। यह प्रदर्शनी आगामी 2 जुलाई तक कलाप्रेमियों के लिए लगी रहेंगी। इस दस दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान प्रतिदिन कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे जिसमे कला प्रतियोगिता, कैलिग्राफी, पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, रेखांकन, आर्ट टॉक आदि कार्यक्रम होते रहेंगें।

Raj Dharm UP

योगी की हनक से पस्त हुआ एक और माफिया का गढ़, इस बार स्क्रैप माफिया को चटाया धूल

लक्ष्मी सिंह ने जाते ही उसके अवैध साम्राज्य को बनाया निशाना नोएडा के स्क्रैप माफिया रवि काना की साइड स्टोरी, जानें कैसे बना वो स्क्रैप किंग नोएडा से नया लुक के प्रमुख संवाददाता विनय सिंह की रिपोर्ट वो सत्ता के साथ झंडा बदलने में माहिर है। शातिर इतना कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी NCR […]

Read More
Raj Dharm UP

सनसनी: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के गनर की गोली मारकर हत्या, इलाके में हड़कंप, पुलिस फोर्स मौके पर

ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी में बेखौफ बदमाशों का कहर थम नहीं रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की गुत्थी सुलझ भी नहीं पाई थी कि असलहों से लैस बदमाशों ने जौनपुर जिले के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के निजी गनर अनीस खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना सिकरारा क्षेत्र […]

Read More
Raj Dharm UP

सुविधा शुल्क के आगे आईजी जेल के आदेश का कोई मायने नहीं

कैदी स्थानांतरण में भी अफसरों ने की जमकर वसूली! बागपत जेल में कैदियों के स्थानांतरण से हुआ बड़ा खुलासा राकेश यादव लखनऊ । डीजी पुलिस/आईजी जेल का आदेश जेल अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। यही वजह है कि कमाई की खातिर जेल अफसर मुखिया के आदेश को दरकिनार कैदियों को स्थानांतरित करने […]

Read More