PHC से बनी CHC, लेकिन नहीं बदले डॉ. अशोक चौधरी

  • पिछले दो दशक से भा गई रूधौली, जमा लिए हैं अंगद की तरह पांव
  • तीन महीने के लिए कहीं अन्यत्र ट्रांसफर लेकर दोबारा आ जाते हैं ‘साहब’
  • निजी नर्सिंग होम संचालन के बाद भी सीएमओ गढ़ते हैं शान में कसीदे

रुधौली से कुलदीप मिश्र की रिपोर्ट…


बस्ती। पहले रुधौली में कोई ऑपरेशन नहीं होता था, अब दिन बदल गए हैं। दस-दस सिजेरियन ऑपरेशन वहां के डॉक्टर करते हैं। ओपीडी में अब काफी भीड़ होने लगी है। भारी संख्या में लोग अब आते हैं और वहां बढ़िया इलाज चल रहा है। शिकायत पहले भी मिली थी, लेकिन नोडल ऑफिसर नीना शर्मा के साथ हम लोग गए थे, सभी डॉक्टर वहां उपस्थित थे। वैसे भी डॉक्टरों की संख्या कम है, छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर 24 घंटे सेवाएं नहीं दी जा सकती हैं। उक्त बातें बस्ती से मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरपी मिश्र ने ‘नया लुक’ संवाददाता से उस समय कही, जब वो ये सवाल पूछ रहा था कि रूधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर करीब दो दशक से रूधौली में ही क्यों जमें हैं? वो यहीं नहीं रुके रूधौली सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक चौधरी के शान में जमकर कसीदे गढ़ डाले। स्थानीय निवासी रामशंकर कहते हैं कि जब ‘बड़े साहब’ के पास ‘तगड़ा हिसाब’ पहुंच जाता है तो इसी तरह की बातें करने लगते हैं।

हालांकि इस कथा की शुरुआत भाजपा के एक स्थानीय पदाधिकारी के फोन से शुरू होती है। साल 2024 में किसकी बनेगी सरकार और कौन होगा बस्ती का नया सांसद? यही बातचीत चल रही थी। कुछ देर में भ्रष्टाचार और कमीशन की बात आई तो पूर्व मंडल मंत्री की सूई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक चौधरी पर आकर टिक गई। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है, करीब दो दशक से वह रूधौली में तैनात हैं और अपना निजी नर्सिंग होम संचालन कर रहे हैं। उनका ट्रांसफर शासन स्तर पर कहीं हो जाता है तो डेढ़-दो महीने में ‘जुगाड़ तंत्र’ के बूते वह फिर रूधौली आ जाते हैं और अपना राज चलाने लगते हैं। सेटिंग में माहिर डॉक्टर छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर किसी डॉक्टर को नहीं भेजते। सब के सब रूधौली में ही बैठते हैं। उन स्वास्थ्य केंद्रों पर फार्मासिस्ट ही बैठते हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि डॉ. अशोक रुधौली कस्बे में अपना निजी नर्सिंग होम चलाते हैं। सभी डॉक्टरों को रूधौली में बैठने की सुविधा के लिए सुविधा शुल्क भी लेते हैं। लेकिन सीएमओ और किसी बड़े अफसर को यह नहीं दिखाई देता है। वहीं सीएमओ बस्ती का कहना है कि कुछ दिन पहले एसीएओ की अध्यक्षता में मैंने जांच करवाई थी, किसी प्रकार का नर्सिंग होम नहीं मिला था। वहां उनका घर है, लोग गलत शिकायत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी डॉक्टर अपने नीयत स्थान पर ही बैठते हैं। नोडल ऑफिसर के साथ मैंने दौरा करके स्वयं देखा है। उन्होंने संवाददाता को भी कहा कि आप स्वयं जाकर देख लीजिए, आप भी संतुष्ट होकर लौटिएगा। अब डॉक्टर सही हैं या स्थानीय जनता, इसकी तफ्तीश की जा रही है, लेकिन एक बात पानी की तरह साफ है कि डॉ. अशोक में कुछ न कुछ ‘खास’ है, जिसके चलते वह सेफ जोन में रहते हैं। बताते चलें कि रूधौली CHC का चयन कायाकल्य योजना के तहत हुआ है। साल 2022 के नवम्बर माह में कायाकल्प की पूरी टीम इस स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण कर चुकी है। छह महीने पहले इस स्वास्थ्य केंद्र पर सीजेरियन ऑपरेशन की शुरूआत हुई थी। बांसखोर कला की रहने वाली सरिता नाम की एक महिला का पहला ऑपरेशन हुआ था।

अंगद की तरह जमा लिए हैं पांव

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुधौली के अधीक्षक डॉ. अशोक चौधरी का रुधौली से मोह भंग नही हो रहा है। वह करीब दो दशकों से यहां जमे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार एक ही स्थान पर जमे रहने के कारण बड़े पैमाने पर वह भ्रष्टाचार की घटना को अंजाम देते हैं। साथ ही उनके द्वारा CHC पर तैनात स्टाफ का भी उत्पीड़न किया जाता है। सीएचसी के कर्मचारियों का कहना है कि डॉ. चौधरी अक्सर ड्यूटी से गायब रहते हैं। अक्सर कर्मचरियों को विभाग से कार्रवाई करवाने, ट्रांसफर करा देने की धमकी भी देते रहते हैं। उनके खिलाफ कई बार स्थानीय ग्रामीणों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा शिकायत की गई, लेकिन सीएमओ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हद तो तब हो गई जब प्रभारी मंत्री के कहने पर तीन अप्रैल को सीएचसी रुधौली से सीएचसी कप्तानगंज ट्रांसफर हुए अधीक्षक का तबादला फिर निरस्त हो गया और वह रूधौली फिर अपनी बादशाहत दिखाने लगे। कुछ लोगों का आरोप है कि सीएमओ बस्ती आर पी मिश्रा उनसे ठीक-ठाक सुविधा शुल्क लेते हैं, इसलिए वह उनके ‘ब्लू ऑयड ब्वॉय’ बने हुए हैं। वहीं सीएमओ ने संवाददाता को यह भी समझाने की भरपूर कोशिश की कि अधीक्षक (लेवल-3) डॉक्टरों की तैनाती शासन स्तर से की जाती है, जबकि जिले के अंदर किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों की तैनाती मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन रहती है।

काम नहीं करता है हेल्थ एटीएम

बस्ती जिले को दो हेल्थ एटीएम मिले थे। स्थानीय प्रशासन ने इसे कप्तानगंज और रूधौली में लगवा दिया। लेकिन दुर्भाग्य है कि यह ट्रेनिंग और किट के अभाव में नहीं चल पा रहा है। बताते चलें कि इस एटीएम से 59 प्रकार की जांचें हो सकती हैं। जिसमें हीमोग्लोबिन, लिपिड प्रोफाइल, मधुमेह, डेंगू, मलेरिया, TLC, DLC, ऑक्सीजन स्तर, ECG, रक्तचाप, डिहाईड्रेशन, मोटापा, ब्लड शुगर, कोलस्ट्रोल आदि शामिल है। इसके अलावा यह एटीएम वजन, लंबाई और बीएमआई की भी जांच भी करती है।

भ्रष्टाचार की हद पार कर गए हैं डॉक्टर

स्थानीय नेता ब्रजेश शुक्ल कहते हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर जमकर लूट मचाए हुए हैं। ऊपर तक अपनी सेटिंग का धौंस दिखाते हुए वह अपनी मनमानी करते हैं। ज्यादातर दवाइयां और जांचें बाहर से कराई जा रही हैं।

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