उमेश तिवारी
काठमांडू/नेपाल। नेपाल में बसंत का मौसम आ चुका है, लेकिन देश की होटल इंडस्ट्री सैलानियों के इंतजार में है। होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि होटलों में रूम खाली पड़े हुए हैं, जबकि पहले इस सीजन में यहां हिमालय की घाटी में घूमने-फिरने और पहाड़ पर ट्रैकिंग करने के शौकीन लोगों की भीड़ लग जाती थी। दो हजार से ज्यादा होटलों की संस्था होटल एसोसिएशन नेपाल के उपाध्यक्ष विनायक शाह ने बताया कि होटलों में एक चौथाई कमरे खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के पहले की स्थिति से तुलना की जाए, तो सिर्फ 50 फीसदी रिकवरी (सुधार) ही हुई दिखती है।
शाह ने अखबार काठमांडू पोस्ट को बताया- ‘हमने इस इंडस्ट्री में ऐसे स्लो डाउन की अपेक्षा नहीं की थी। छोटे और मध्य आकार के कमरों में से भी 20 प्रतिशत खाली पड़े हुए हैं। एसोसिएशन ने सरकार से राहत की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष सृजना राना ने कहा है कि ‘इंडस्ट्री की हालत में सुधार हो रहा है, लेकिन अगर सरकार सोचती है कि स्थिति बिल्कुल ठीक हो गई है, तो ऐसा नहीं है। जानकारों के मुताबिक 2017 के बाद से नेपाल की होटल इंडस्ट्री में निवेशकों ने बड़ी मात्रा में पैसा लगाया। अरबों रुपये के निवेश से दर्जनों नए होटल बनाए गए। उस समय तक देश में सिर्फ चार 4-स्टार होटल थे।
अब यह संख्या तकरीबन 20 हो चुकी है। अभी भी कई ऐसे होटलों का निर्माण जारी है। भैरहवा स्थित सिद्धार्थ होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश श्रेष्ठ के मुताबिक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की लहर आई थी। अब जरूरत सैलानियों को आकर्षित करने की है, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार में इसके लिए उत्साह नहीं बचा है। उन्होंने कहा- ‘एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बना। लेकिन उससे भैरहवा तक सैलानियों के आने में कोई वृद्धि नहीं हुई है। यह देखना होगा कि समस्या कहां है। गौतम बुद्ध इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण यूनेस्को की तरफ से विश्व विरासत स्थल घोषित लुंबिनी से केवल दस किलोमीटर दूर हुआ है। लुंबिनी को भगवान बुद्ध का जन्म स्थान माना जाता है।
यह स्थल पर्यटन के साथ-साथ व्यापार का भी प्रमुख केंद्र रहा है। उम्मीद जताई गई थी कि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने से सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन असल में ऐसा हो नहीं सका है। विश्लेषकों के मुताबिक होटलों की संख्या तो तेजी से बढ़ी, लेकिन उसी अनुपात में कारोबार नहीं बढ़ा है। इसके अलावा दुनिया भर में आई महंगाई और आर्थिक समस्याओं का असर भी सैलानियों की संख्या पर पड़ा है। कॉरपोरेट अधिवक्ता गांधी पंडित ने काठमांडू पोस्ट से कहा कि महंगाई और ब्याज दरें बढ़ने का खराब असर सिर्फ होटल उद्योग पर नहीं, बल्कि तमाम तरह के उद्योगों पर पड़ा है। उन्होंने कहा- ‘बैंक लोगों की जायदाद नीलाम कर अपने कर्ज वसूल रहे हैं। इसका शिकार होटल भी हुए हैं। होटल मालिक ऋण नहीं चुका पा रहे हैं, जिस कारण उन्हें काली सूची में डाला जा रहा है। आखिर जो हाल अर्थव्यवस्था का होता है, वही होटल इंडस्ट्री का भी होता है।