नौका पर सवार होकर आ रही मां दुर्गा आपके द्वार

पंडित सुधांशु तिवारी
पंडित सुधांशु तिवारी

(एस्ट्रो साइंस विशेषज्ञ, एस्ट्रोलॉजर)


चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से वासंतिक या चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक चलेंगे। दुर्गा पूजा और घट स्थापना (कलश स्थापना) का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व क्या है? नवरात्रि का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सालभर में कुल चार नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है। माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023, बुधवार से शुरू हो रही हैं। मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है। इस बार मां दुर्गा नौका यानी नाव पर सवार होकर धरती पर आएंगी। तो आइए चैत्र नवरात्रि घट स्थापना, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि भी जान लेते हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं और इनका समापन 30 मार्च को होगा। साथ ही इस बार चैत्र नवरात्रि पर 110 साल बाद दुर्लभ संयोग का निर्माण भी होने जा रहा है। वहीं, मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आएंगी। नवरात्रि शुभ मुहूर्त ज्योतिषाचार्य पंडित सुधांशु तिवारी जी के मुताबिक, प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर चार मिनट पर लग जाएगी इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी। इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है। पूरे नौ दिनों के नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की पूजा होगी। उन्होंने नवरात्र के संयोग के बारे में बताया कि चार ग्रहों का परिवर्तन नवरात्र पर देखने को मिलेगा। यह संयोग 110 वर्षों के बाद मिल रहा है। इस बार नव संवत्सर लग रहा है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी। इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेंगे। घटस्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। यह नौ दिनों के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। शास्त्रों में नवरात्रि की शुरुआत में एक निश्चित अवधि के दौरान घटस्थापना करने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित नियम और दिशानिर्देश हैं। घटस्थापना देवी शक्ति का आवाहन है और इसे गलत समय पर करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है। नवरात्रि में घट या कलश स्थापना को मुहूर्त के मुताबिक करना चाहिए। चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को आती है और इसका मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीणा लग्न के दौरान आता है। घटस्थापना करने के लिए सबसे शुभ या शुभ समय दिन का पहला एक तिहाई है जबकि प्रतिपदा प्रचलित है। यदि किन्हीं कारणों से यह समय उपलब्ध नहीं है तो अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है। घटस्थापना के दौरान नक्षत्र चित्रा और वैधृति योग से बचने की सलाह दी जाती है लेकिन यह निषिद्ध नहीं है।

घट स्थापना मुहूर्त

शुभ मुहूर्त- 06:23 AM से 07:32 AM तक

अवधि – एक घंटा नौ मिनिट

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 21 मार्च 2023 को रात्रि 10:52 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 बजे

मीणा लग्न प्रारम्भ – 22 मार्च 2023 को 06:23 पूर्वाह्न

मीणा लग्न समाप्त – 22 मार्च 2023 को 07:32 AM

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना की विधि

कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है। पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगाजल से साफ किया जाता है फिर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर सवेरे-सवेरे जल्दी स्नान करके पूजा और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें और चौकी रखें जहां पर कलश में जल भरकर रखें। फिर कलश पर कलावा लपेटें। इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं। इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में लपटेकर कलश पर रख दें। इसके बाद धूप, दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें और शास्त्रों के मुताबिक मां दुर्गा की पूजा-उपासना करें। कलश स्थापना के बाद, गणेश जी और मां दुर्गा की आरती करते है जिसके बाद नौ दिनों का व्रत शुरू हो जाता है।

मां दुर्गा के किस स्वरूप की किस दिन होगी पूजा?

1- नवरात्रि पहला दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)

2- नवरात्रि दूसरा दिन 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां ब्रह्मचारिणी पूजा

3- नवरात्रि तीसरा दिन 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार: मां चंद्रघंटा पूजा

4- नवरात्रि चौथा दिन 25 मार्च 2023 दिन शनिवार: मां कुष्मांडा पूजा

5- नवरात्रि पांचवां दिन 26 मार्च 2023 दिन रविवार: मां स्कंदमाता पूजा

6- नवरात्रि छठवां दिन 27 मार्च 2023 दिन सोमवार: मां कात्यायनी पूजा

7- नवरात्रि सातवं दिन 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार: मां कालरात्रि पूजा

8- नवरात्रि आठवां दिन 29 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां महागौरी

9- नवरात्रि 9वां दिन 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां सिद्धिदात्री

कलश स्थापना की सामग्री

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। माना जाता है कि इस कलश में 33 कोटि देवी देवता होते हैं। कलश स्थापना के लिए थोड़ी सी मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, नारियल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, अक्षत, हल्दी-तिलक, पान के पत्ते, जौ, फूल-माला, भोग के लिए फल और मिठाई, रंगोली के लिए आटा, मिट्टी की कटोरी के ऊपर रखने के लिए चावल या गेहूं। मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर, चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा, लाला चुनरी, पाठ के लिए दुर्गासप्तशती पुस्तक, दुर्गा चालीसा।

नवरात्रि की आवश्यक सामग्री

माता रानी की सामग्री

नवरात्रि के मौके पर नवदुर्गा का श्रृंगार किया जाता है। पूजा के लिए मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा ली जा सकती है। इसके साथ कुमकुम या बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, गजरा, लाल रंग का जोड़ा, मांग टीका, नथ, कान के झुमके, मंगल सूत्र, बाजूबंद, चूड़ियां, कमरबंद, बिछुआ, पायल आदि।

चैत्र नवरात्रि पूजन विधि

कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।

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