- ऊर्जामंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन हेतु बिजलीकर्मियों ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की
- ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को लागू कराने की मांग किसी भी तरह राजनीतिक नहीं है
- ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन पर मा. ऊर्जा मंत्री को गुमराह करने का आरोप
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की पुनः अपील की है। संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह बिजलीकर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने हेतु ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया है।
संघर्ष समिति ने आगे कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजली कर्मियों को बाध्य किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विगत तीन दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की। अब जबकि 110 दिन व्यतीत हो चुके हैं एवं प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है तो बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से ध्यानाकर्षण करने के अलावा अन्य क्या विकल्प है।
तीन दिसम्बर के बाद उप्र में होने वाले जी-20 सम्मेलन एवं इन्वेस्टर्स समिट की महत्ता और इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की उपस्थिति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए बिजलीकर्मियों ने अपने पूर्व निर्धारित सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को स्थगित कर सुचारू बिजली आपूर्ति बनाए रखने हेतु अहर्निश प्रयास किया। मार्च माह की महत्ता को बिजलीकर्मी बखूबी समझते है किन्तु सरकार को यह विचार करना चाहिए कि ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन समझौता लागू करने में सबसे बड़ी बाधा है। ऐसे में बिजलीकर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है। संघर्ष समिति के आह्वान पर राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपद/परियोजना मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकाले जायेंगे।