टेक्नोलॉजी के साथ-साथ तेजी से बढ़ चला यह गंदा कारोबार…

 

पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गई है। जिसके दायरे में ऐसे फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और अन्य सामग्री आती है, जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित होती है। पोर्न कंटेंट डाउनलोड की बात करें तो टॉप 10 शहरों में छह शहर भारत के हैं। दुनिया में गूगल ट्रेंड डाटा के हिसाब से पोर्न वॉचिंग में 68 मिलियन सर्च रोजाना भारत में की जाती है। इसमें 80त्न कॉलेज गोइंग युवा भारत में पोर्न कंटेंट देखना पसंद करते हैं। नई दिल्ली से अर्जुन सिंह मेहता की रिपोर्ट…


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक सीनियर नागरिक को फेसबुक पर ‘नेहा शर्मा’ नाम की फेक आईडी से रिक्वेस्ट आया। उन्होंने एक्सेप्ट किया तो कुछ देर में हाय, हैलो शुरू हो गया। अगले दिन उधर से एक नम्बर आया और कहा गया कि इस नम्बर को सेव करो। थोड़ी ही देर में उस पर एक वीडियो कॉल आया। उसने कहा- बाथरूम में चलो, तुम्हें कुछ दिखाना है। वो कुछ समझते, तब तक दूसरी तरफ से अश्लील हरकतें शुरू हो गईं। वो फोन काटकर जैसे ही सहज हुए, उनके नम्बर पर कई अलग-अलग नम्बर से कई अश्लील फोटो उनकी वीडियो कॉलिंग की आ गईं।  वहीं धमकी भी आई कि ५० हजार नहीं दिए तो तुम्हारी पत्नी के इनबॉक्स में सभी फोटो भेज दूंगी। मारे डर के उन्होंने राजस्थान के भरतपुर के एक एचडीएफसी बैंक के खाते में १० हजार ट्रांसफर भी कर दिए और आनन-फानन अपने एक मित्र पुलिस अफसर को फोन किया, उनके बीच-बचाव के बाद उनकी जान बची।

मिर्जापुर (यूपी) निवासी मुंबई की एक निजी कम्पनी के 57 वर्षीय वॉइस प्रेसिडेंट को सेक्सटॉर्शन के बहाने 2.06 लाख रुपये का चूना लगा दिया। यहां एक महिला ने उसे वीडियो कॉल पर अश्लील हरकत करते हुए धोखा दिया और बाद में उसके गिरोह के सदस्यों ने शख्स से पैसे वसूलने के लिए दिल्ली साइबर अपराध अधिकारी और यूट्यूब कस्टूमर केयर का नाम लेकर ठगना शुरू किया। पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद जान बची। कुछ दिनों पहले चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में चोरी से छात्राओं के वीडियो बनाए जाने के सनसनीखेज और हंगामेदार खुलासे के बाद एक बार फिर रिवेंज पोर्नोग्राफी और यौन शोषण (सेक्सटॉर्शन) की चर्चा गर्म हो गई है। यह इस तरह का पहला मामला नहीं है।

दरअसल भारत में पिछले दशक के दौरान साइबर अपराध और सेक्सटॉर्शन की घटनाओं में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। यूं कहें तो टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ ही सेक्सटॉर्शन (ऐसे मामले जिनमें आमतौर पर एक ब्लैकमेलर शामिल होता है, जिसकी पहुंच पीडि़त की निजी फिल्मों या तस्वीरों तक होती है) के मामलों में बेहद बढ़ोतरी हुई है। साथ ही रिवेंज पोर्नोग्राफी भी आम बात हो गई है। रिवेंज पोर्नोग्राफी को हम आम शब्दों में कहें तो ब्लैकमेलर की तरफ से पीडि़त को पर्सनल फोटोस और एमएमएस के ज़रिए धमकाना और अपने निजी फायदे के लिए उनका इस्तेमाल करना शामिल है। वीडियो-कॉलिंग ऐप्स पर बातचीत के जरिए लुभाकर न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर लेने के भी बहुत सारे मामले सामने आए हैं। कई मामलों में पीडि़तों ने सुसाइड भी कर ली है। ऐसे मामलों में न्याय दिलाने के लिए कानून में कई मजबूत धाराएं मौजूद हैं। 35 परसेंट हिस्सेदारी भारत में रोजाना इंटरनेट से डाउनलोड डाटा में पोर्न कंटेंट की होती है। साल 2017 में पोर्नहब वेबसाइट के कस्टमर्स में भारत का स्थान विश्व में तीसरा पाया गया था। डाटा प्राइस कम होने से यह आंकड़ा 75 परसेंट बढ़ गया था। मार्च 2016 से मार्च 2017 के बीच पोर्न कंटेंट डाउनलोड की बात करें तो टॉप 10 शहरों में छह शहर भारत के हैं। दुनिया में गूगल ट्रेंड डाटा के हिसाब से पोर्न वॉचिंग में 68 मिलियन सर्च रोजाना भारत में की जाती हैं, जिनमें 25 फीसदी सिर्फ़ पोर्न डाटा के लिए होती हैं। 243 मिलियन दर्शक भारत में पोर्न कंटेंट के होने का दावा ‘साइबर ब्लॉग इंडिया’ का है। 48.6 मिलियन दर्शक इनमें से 13 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चे हैं। 80 प्रतिशत कॉलेज गोइंग युवा भारत में पोर्न कंटेंट देखना पसंद करते हैं।

जाने-माने लोग भी बन रहे रिवेंज पोर्नोग्राफी के शिकार

बहुत सारे जाने-माने लोगों को भी रिवेंज पोर्नोग्राफी का शिकार होना पड़ा है। इनमें से ज्यादातर मामले सार्वजनिक जीवन में मशहूर लोगों को बदनाम करने के लिए सामने आए हैं। फरवरी, 2022 में राजस्थान के एक मंत्री और आतंकी मामले में आरोपी रहीं भाजपा की एक सांसद के मामले सामने आए थे, जिनके वीडियोज को सॉफ्टवेयर से अश्लील बनाकर वायरल करने की साजिश भरतपुर के दो साइबर हैकर्स रवीन खान व वारिस खान ने रची थी। नवंबर 2021 में शिवसेना के एक विधायक के अश्लील फोटो बनाकर ब्लैकमेल करने की बात सामने आई थी। राजस्थान से ही पकड़े गए इस ब्लैकमेलर मोहम्मद खान के कब्जे से करीब 300 फर्जी पोर्न वीडियो-फोटो मिले थे और करीब 20 लाख रुपये वसूलने के सबूत भी पाए गए थे।

ये हैं कानून की धाराएं

साइबर क्राइम को लेकर देश का कानून बहुत सख्त है। भारत में साइबर क्राइम के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधित) कानून 2008 लागू होते हैं। मगर इसी कैटेगरी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293, कॉपी राइट कानून 1957, कम्पनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून (UAPA) के तहत भी करवाई की जा सकती है। आज के समय में इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार भी खूब फल फूल रहा है। ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गई है। जिसके दायरे में ऐसे फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और अन्य सामग्री आती है, जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित होती है। ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से पब्लिश करने, किसी को भेजने या किसी दूसरे के जरिए पब्लिश करवाने या भिजवाने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून लागू होता है।

ब्लैकमेलिंग से जुड़े प्रावधान

यदि किसी महिला की तस्वीर अश्लीलता से ली जाती है और उसकी जानकारी के बिना वितरित की जाती है, तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Technology act) की अन्य संबंधित धाराओं की मदद से IPC की धारा 354 सी के तहत  मामला भी बनाया जा सकता है। साथ ही महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 के तहत भी कार्रवाई हो सकती है। आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 66ई (गोपनीयता का उल्लंघन) के तहत किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी तस्वीरें खींचने या प्रसारित करने पर रोक लगाता है। ये धाराएं लडक़ी या महिला को गलत तरीके से और छिपकर फिल्माने पर लगाई जाती है। आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67-अश्लील इलेक्ट्रॉनिक सामग्री प्रसारित करना- किसी को बदनाम करने के लिए चित्र या वीडियो साझा करना दंडनीय  अपराध है। आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67बी, बाल अश्लीलता- यदि पीडि़त नाबालिग है, 18 वर्ष से कम उम्र का है। आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67 ए- स्पष्ट यौन कृत्यों (सेक्सुअली एक्सप्लीकिट एक्ट्स) वाली इलेक्ट्रॉनिक सामग्री-वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करने और साझा करने के लिए छिपे हुए कैमरों का उपयोग करना दंडनीय अपराध है। इन धाराओं में  भी दोषी पाए जाने पर सज़ा का प्रावधान है।

क्या कहते हैं जानकार

सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून के विशेषज्ञ विराग गुप्ता के अनुसार सोशल मीडिया के साथ साइबर अपराध भी दिन दोगुने रात-चौगुने बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के तीन पहलुओं पर बातचीत और समझ जरूरी है। पहला-कानून और अदालतें, दूसरा-पुलिस और डिजिटल रेगुलेटर, तीसरा-सोशल मीडिया कम्पनियों का शिकायत तंत्र है। इस तरह के मामलो में IPC की धारा 354-सी और आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। ये धाराएं लडक़ी या महिला को गलत तरीके से और छिपकर फिल्माने पर लगाई जाती हैं। धारा 66ई का दोषी पाए जाने पर आरोपी को दो लाख तक का जुर्माना या तीन साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, 354-सी का दोषी पाए जाने पर आरोपी को जुर्माना और एक से पांच साल तक की सजा हो सकती है। आईटी एक्ट और आईटी इंटरमीडियरी रुल्स 2021 के तहत सोशल मीडिया कम्पनियों की अनेक कानूनी जवाबदेही है। सोशल मीडिया में पीडि़त लोग हर छोटी या बड़ी बात के लिए पुलिस या अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटा सकते हैं। साल 2011 के नियमों के तहत केएन गोविन्दाचार्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक, गूगल, ट्विटर और दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों में शिकायत निवारण के लिए प्रभावी सिस्टम सुनिश्चित करने का आदेश केंद्र सरकार को दिया था। पिछले ११ साल में इसे लेकर सिर्फ कागजी खानापूर्ति हुई है।

विदेशों से जुड़े हैं तार

पोर्नोग्राफी का जाल सात समंदर पार से भी हैंडल किया जा रहा है। कई बार कॉल करने वाली लडक़ी भारत की न होकर बाहर की होती है, लेकिन वह मेहनत करके भारत की लोकल लैंग्वेज में परिपक्व रहती है।

क्या है साइबर क्राइम?

टेक्नोलॉजी के इस युग में कम्प्यूटर और इंटरनेट की दुनिया फ़ास्ट है तो उतनी ही खतरनाक भी है। टेक्नोलॉजी की स्पीड के साथ तकनीकी सहारे से बढऩे वाले क्राइम भी बढ़ रहे हैं। आज के समय में कई क्रिमिनल्स जुर्म करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वल्र्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी का अहम गुनाह है। किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं। वहीं, किसी की परमिशन के बिना उसकी फोटो खींचना वीडियो बनाना और शेयर करना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी गंभीर जुर्म

भारतीय कानून के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अवैध है। इसके तहत आने वाले मामलों में पोक्सो एक्ट, 2012 की धारा-15, आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए), IPC की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है। जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। लेकिन दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा सात साल तक बढ़ सकती है।

 

 

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