उत्तर प्रदेश में यात्रा कहीं सम्पूर्ण विपक्ष हांसिये पर न आ जाये?

डॉ. ओपी मिश्र


भारत जोड़ो यात्रा मुश्किल से 72 घंटे  उत्तर प्रदेश में रही थी लेकिन इन 72 घंटों में यात्रा को जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त हुआ है उससे भाजपा हाईकमान हतप्रभ है। भाजपा हाईकमान यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को सपने में भी यह उम्मीद नहीं थी कि राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा को बड़े पैमाने पर समर्थन मिलेगा।  जिस तरह किसान, नवजवान, दलित, मुस्लिम तथा उच्च वर्ग के लोगों ने यात्रा में अपनी सहभागिता दर्ज कराई है उससे इतना तो स्पष्ट है कि मोदी और अमित शाह की कार्यप्रणाली तथा सत्ता के केंद्रीकरण से लोग खुश नहीं है। यह नाखुशी अगर इसी तरह लोगों के जेहन में बैठी रही और उन्हें लगातार यह एहसास होता रहा कि वास्तव में देश को तोड़ा जा रहा है।

फिर बला टली मोदी सरकार की!

तो भाजपा की छीछालेदर होना तय है। वैसे भाजपा के लोग भले ही यह कहते घूम रहे हैं कि भारत टूटा कहां है? जिसे राहुल गांधी जोड़ने की बात कह रहे हैं? लेकिन हकीकत क्या है? इससे हम सब वाकिफ हैं। यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी चंपत राय को यह कहना पड़ा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत जोड़ो यात्रा की निंदा नहीं करती। वे आगे कहते हैं कि ठंड के इस मौसम में अगर राहुल गांधी के अंदर इतना ऊर्जा और शक्ति आ गयी है तो यकीनन वे ‘योगी’ की श्रेणी में आते हैं। विहिप नेता चंपत राय के बयान के विपरीत योगी सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक यह बयान जारी करते हुए कहते है कि वे वैज्ञानिक से जांच करवाएंगे कि कोई व्यक्ति इस मौसम में टीशर्ट पहनकर कैसे चल सकता है?

इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिल्कुल खामोश रहे और उनका सारा फोकस ‘मेगा इन्वेस्टमेंट और निवेश’ पर ही केंद्रित रहा। योगी सरकार के दूसरे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी आदत के अनुरूप केराना को लेकर राहुल गांधी के ऊपर तंज कसा लेकिन उन्हें माकूल जवाब केवल कांग्रेस ने ही नहीं बल्कि उनके ट्यूट के जवाब में  कई लोगों ने दिया और उन्हें आईना भी दिखाया । कोई कुछ भी कहे लेकिन उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के 72 घंटों ने सामाजिक और राजनीतिक तौर पर काफी अस्थिरता उत्पन्न कर दी है। जिसके एक सिरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक हैं। तो दूसरे छोर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। ऐसे मे उत्तर प्रदेश मोदी और अमित शाह के इशारे पर चल पाएगा? कहा नहीं जा सकता? क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना काम अपने तरीके से करने के लिए विख्यात है। वे न तो हस्तक्षेप करते हैं और न ही चाहते हैं कि कोई उनके काम में हस्तक्षेप करें। इसी तरह की कुछ सोच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी है। उसे भी एहसास हो रहा है कि यदि हर काम की मॉनिटरिंग पीएमओ करेगा तो आरएसएस क्या करेगा? संघ को लग रहा है कि उसकी भूमिका को कुन्द करने का प्रयास संघ के एक स्वयंसेवक द्वारा ही किया जा रहा है। जो आज प्रधान सेवक है। यही कारण रहा है कि राम जन्मभूमि के एक वरिष्ठ न्यासी गोविंद देव गिरी जी को यह कहना पड़ा कि राष्ट्र एकजुट रहे यही हम सब की कल्पना है।

मूलाधिकारी हिन्दू को मिले हक!!

भारत को एकजुट होना ही चाहिए और यदि यह काम राहुल गांधी कर रहे हैं तो उनका कदम स्वागत योग्य है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या भाजपा की सत्ता ने देश को तोड़ दिया है? अगर यह बात लोगों के दिल ओ दिमाग में घर कर गई तो हवा बदलते देर नहीं लगेगी। आज जिस तरह राहुल गांधी जनता की समस्याओं तथा जनता के सरोकारों से अपने को जोड़ते हुए उनकी मांगों और उनकी परेशानियों को अपनी आवाज दे रहे हैं। उससे आम आदमी काफी प्रभावित है क्योंकि राहुल गांधी न तो जाति की बात कर रहे हैं। न धर्म की बात कर रहे हैं, ना भाषा की बात कर रहे हैं और ना ही मंदिर मस्जिद की बात कर रहे हैं। वे बात कर रहे हैं किसानों की, वे बात कर रहे हैं बेरोजगारी की, वे बात कर रहे हैं। भ्रष्टाचार कि, वे बात कर रहे हैं। नवजवानों की ऐसे में कहीं ऐसा ना हो कि संपूर्ण विपक्ष हौसिये पर ही आ जाए। क्योंकि उत्तर प्रदेश में संपूर्ण विपक्ष की राजनीति तभी परवान चढ़ सकती है। जब कांग्रेस कमजोर हो। आज देश में तमाम ऐसे नेता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर होते तो देखना चाहते हैं। लेकिन राहुल गांधी को बढ़ते देखना नहीं चाहते? अब देखना यह है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा किसके लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी?

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