चीन में अंतिम संस्कार के लिए एक हप्ते की वेटिंग?
उमेश तिवारी
काठमांडू/नेपाल। इटली के मिलान में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब चीन से पहुंचीं दो फ्लाट्स में आधे से ज्यादा यात्री कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद इटली ने चीन से आने वाले सभी यात्रियों की कोरोना टेस्टिंग कराने का फैसला किया है। इटली ने ये फैसला ऐसे वक्त पर लिया, जब चीन कोरोना के कहर के बावजूद अपने बॉर्डर खोलने जा रहा है। चीन से इटली के मिलान में पहुंची 2 फ्लाट्स में आधे यात्री पॉजिटिव निकले हैं। बताया जा रहा है कि पहली फ्लाइट में 92 में से 35 यात्री तो दूसरी फ्लाइट में 62 यात्री कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके बाद इटली ने चीन से आने वाले सभी यात्रियों की कोरोना टेस्टिंग करने का फैसला किया है। दरअसल, इटली 2020 जैसी गलती नहीं दोहराना चाहता। तब इटली यूरोप का पहला देश था, जहां कोरोना ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी।
इन सबके बावजूद चीन ने 8 जनवरी से दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों को क्वारंटीन करने समेत सभी तरह की पाबंदियों को खत्म करने का ऐलान किया है।इसके साथ ही चीन ने दुनियाभर के लिए फ्लाइट्स भी खोलने का फैसला किया है। चीनी सरकार के फैसले के बाद से माना जा रहा है कि अगले महीने न्यू ईयर हॉलिडे पर चीनी लोग विदेश जा सकेंगे। यही वजह है कि ट्रैवल सर्विस कंपनी पर सर्चिंग और टिकटों की बुकिंग 8 से 10 गुना ज्यादा हो गई है। लोग सबसे ज्यादा जापान, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बारे में सर्च कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना फैल सकता है।
चीनी यात्रियों पर सख्त हुए ये देश
उधर, अमेरिका ने 5 जनवरी से चीन से आने वाले यात्रियों के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दी है। यानी 5 जनवरी से चीन, हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ से अमेरिका आने वाले यात्रियों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट देनी होगी या यह जानकारी देनी होगी कि वे कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए हैं। कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत किसी तीसरे देश के माध्यम से अमेरिका आने वाले यात्रियों पर भी लागू होगी। भारत, जापान, ताइवान ने भी चीन से आने वाले यात्रियों की कोरोना टेस्टिंग अनिवार्य कर दी है।
चीन में कोरोना से हाहाकार
चीन ने दिसंबर में जीरो कोविड पॉलिसी खत्म करने का ऐलान किया था। इसके बाद से चीन में कोरोना के बेतहाशा केस बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं मौतें भी इतनी हो रही हैं कि अस्पतालों के मोर्चरी हाउस और शमशानों में शव रखने की जगह नहीं है। कई शहरों में ऐसा हाल है कि अंतिम संस्कार के लिए एक हफ्ते की वेटिंग चल रही है।