उमेश तिवारी
काठमांडू/नेपाल। नेपाल में बड़े सियासी उलटफेर में पुष्प कमल दहाल प्रचंड नए प्रधानमंत्री बन गये हैं। नेपाल में चुनाव के दौरान प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और इस गठबंधन को बहुमत मिला था। हालांकि चुनाव परिणाम के बाद प्रचंड और देउबा के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर खींचतान मच गई और इस पूरे विवाद में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा को मौका मिल गया। चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी शर्मा ओली ने इस मौके का फायदा उठाया और प्रचंड को समर्थन दे दिया। इसके बाद ओली की बेहद करीबी नेपाली राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने प्रचंड को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।
ओली न केवल प्रचंड को अपने पाले में लाने में सफल रहे बल्कि राष्ट्रपति पद और संसद में स्पीकर का पद भी हासिल करने में सफल हो गए। इसके अलावा ओली के करीबियों को कई प्रमुख मंत्री पद भी मिलेगा। कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी अब केपी ओली की पार्टी से बनने जा रहे हैं। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार दोपहर तक देउबा अगले प्रधानमंत्री बनते दिख रहे थे लेकिन ओली के मास्टरस्ट्रोक से अचानक से खेल हो गया। अब इस बड़ी सफलता से ओली नेपाल में बहुत शक्तिशाली हो गए हैं।
ओली के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत
नेपाल के वामपंथी पार्टियों पर नजर रखने वाले विश्लेषक झलक सुबेदी ने कहा, ‘अंतिम समय तक ओली की पार्टी को कुछ भी नहीं मिल रहा था लेकिन अब उनके पास राष्ट्रपति और स्पीकर का पद रहेगा। इसके अलावा 4 राज्यों में ओली की पार्टी के मुख्यमंत्री बनेंगे। यह ओली के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत है।’ उन्होंने कहा कि ओली भले ही सत्ता में नहीं हैं लेकिन वह राष्ट्रपति और स्पीकर की मदद से प्रचंड सरकार पर पूरा कंट्रोल बनाए रखेंगे। प्रचंड तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। आज उन्होंने शपथ ग्रहण भी कर लिया।
प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता रविवार की मीटिंग में ही साफ हो गया था। इसमें ओली, प्रचंड की पार्टी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनमत पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के बीच एक समझौता हुआ। इसके तहत ढाई साल के लिए प्रचंड प्रधानमंत्री रहेंगे। बताया जा रहा है कि प्रचंड को लेकर घटनाक्रम में बहुत तेजी से बदलाव हुआ। प्रचंड ने पहले देउबा से मुलाकात की जब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए निराशा मिली तो उन्होंने अपने करीबियों के साथ बैठक की। इसके बाद ओली के साथ गठजोड़ पर अचानक से सहमति बन गई।
भारत के लिए खतरे की घंटी बन सकते हैं केपी ओली!
नेपाल में केपी ओली का इतना शक्तिशाली बनना भारत के लिए भी खतरे की घंटी बन सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान ओली ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था। इससे पहले प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी ओली ने चीन के इशारे पर नाचना शुरू कर दिया था। ओली ने कालापानी जैसे इलाकों को नेपाल के नए नक्शे में शामिल कराया था। यही नहीं ओली ने योग और भगवान राम को लेकर भी कई विवादित दावे किए थे। इससे दोनों के बीच रिश्ते बहुत तनावपूर्ण हो गए थे।