सटीक रहे आकलन!

के. विक्रम राव
   के. विक्रम राव

चुनावी जंग हो ! अचूक न हो? अनुमान और आकलन फिट न बैठें, फिस्स हो जायें ? ऐसा ही हुआ कल (गुरुवार, आठ दिसंबर 2022) विभिन्न मतदानों में ! मसलन नरेंद्र ने भूपेंद्र से यह मांग की थी कि प्रधान मंत्री वाला कीर्तिमान मुख्यमंत्री तोड़ें। वे सफल रहे। स्वयं प्रधानमंत्री ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि दोनों (इन्द्र) जुट गये हैं। नतीजा यह रहा कि गुजरात में सातवां आश्चर्य हो गया। भाजपा फिर सत्तासीन हो गई। मोदी हों तो योगी भी कदमताल तो करेंगे ही। गुजरात के 25 विधानसभा क्षेत्रों में यूपी के मुख्यमंत्री गरजे थे, और 18 जीते। इनमें ग्यारह कांग्रेस से छीने। मगर सोनिया-कांग्रेस तो तटवर्ती ऐतिहासिक पोरबंदर बचा ले गई। भाजपा ने यह सीट गवां दी। कांग्रेस ले गई। बड़ा प्रतीकात्मक है क्योंकि यहीं के संत ने 1947 में कहा था : “राष्ट्रीय कांग्रेस भंग कर दी जाए।

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अब उत्तर प्रदेश क्यों पीछे रहे ? रामपुर सल्तनत रही 74-वर्षीय खान मोहम्मद आजम खान की। पति, पत्नी और पुत्र यहां से बादशाह रहे। योगी आदित्यनाथ ने आपना प्रण पूरा किया। आजम स्वयं ग्यारह बार (लोकसभा सदस्य) रामपुर से जीत चुके हैं। मगर भाजपाई आकाश सक्सेना ने पासा पलट दिया। आकाश पहले गैर-मुस्लिम हैं जो 56 प्रतिशत की मुस्लिम जनसंख्या वाले रामपुर से जीते। गुजरात और हिमांचल की जीत से राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का संकट तीव्र हो गया। सचिन पायलट हिमांचल के प्रभारी थे। कांग्रेस सत्ता पर आ गई। उधर अशोक सिंह गहलोत पड़ोसी गुजरात की प्रभारी थे। पराभव पूर्ण हो गया। छक्का तो पांच साल पूर्व पार्टी ठोक चुकी थी। कांग्रेस की इस बार निसंदेह फजीहत हो गई। सचिन की गर्वोक्ति थी कि अब मिथक टूटा है कि विंध्य के उत्तर में पार्टी का सूरज अस्त हो गया है। हिमांचल पर सचिन ने तिरंगा लहराया। चुनाव परिणामों से यदि कहीं मुस्कुराहट खिली है तो अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर उनकी पार्टी अब (राष्ट्रीय) अखिल-भारतीय पार्टी बन गई। भाजपा मुख्यालय (दीनदयाल उपाध्याय मार्ग) से बस चंद किलोमीटर दूर ही वह आज पार्टी है। इसके बड़े सांकेतिक मायने हैं!

इस विश्लेषण के आगाज में हिमांचल मे एक ही पार्टी राज की आशंका ने निर्मूल किया। कांग्रेस बड़े सूखे के मौसम से गुजर रही थी। सोनिया गांधी की आज (9 दिसंबर) 76 वर्षगांठ है। बड़ा नायाब तोहफा हिमांचल ने दे दिया है। पार्टी अध्यक्षा अपने बेटा-बेटी के साथ छुट्टी मना रहीं हैं। मेवाड़ के महाराणा हमीर सिंह के आठ सदी पूर्व निर्मित रणथंभोर किले और शेर के जंगल में विश्राम हेतु गईं। कभी उनके पति राजीव गांधी का भी यह आरामगाह होता था। हालांकि सोनिया मनाली जा सकती थी जहां उनकी सास के पिता जवाहरलाल नेहरू थकान दूर करने जाते रहे। फिर उन्हीं की पार्टी के भुवनेश्वर गौर ने मनाली विधानसभा सीट भाजपा से जीती है। दुगुना उत्सव हो जाता। हालांकि उनके इस सैर सपाटे में खलल डालने में भाजपा एकजुटता से लगी हैं। वही गोवा और मध्य प्रदेश की भांति दल बदल वाला प्रयोग कर सकती हैं!

सोनिया को संतोष होगा कि रेतीले गुजरात की तुलना में उन्हे हरियाले हिमांचल पर बड़ा सुकून मिला। शिमला के समीप छावड़ा क्षेत्र में चार बीघा भूमि पर प्रियंका ने रिजार्ट निर्मित किया है। तब 2007 (नवरात्रि पर) भू नियमों को शिथिल कर हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने यह आवासीय भूभाग रियायती दर पर उन्हे प्रदान किया था। कांग्रेस की जीत, इसीलिए प्रियंका के लिए, चार वर्षों के सभी चुनाव-उपचुनाव खोने के बाद, एक ताजा झोंका के मानिंद हैं। हालांकि टिकट वितरण में चूक कांग्रेस को भारी पड़ी। वैसे रमणीय कुल्लू घाटी के समीप हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में दोनों पार्टियां हारी। दल बदलू आशीष शर्मा ने 47 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस और भाजपा को हरा दिया।

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ऐसे ही भाजपा के बागी प्रत्याशी होशियार सिंह ने कांग्रेस से बगावत कर सभी को हराया। निचोड़ यह है कि हिमाचल के मतदाताओं ने दोनों पार्टियों के विद्रोहियों का समर्थन किया। मान्य दलों को पराजित किया। भाजपाई मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर खुद रिकार्ड वोटों से जीते, पर सिंहासन खो बैठे। परिणाम स्वरूप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा रानी प्रतिभा सिंह ने दावा किया है कि उनके स्वर्गीय पति और स्वनामधन्य राजा वीरभद्र सिंह की बम्पर विजय हुआ करती थी। अतः उनके सुशासन को कांग्रेस पार्टी के विजय का पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए। यूं कुल 68 में से 40 सीटें जीतकर कांग्रेस ने अपनी भव्य वापसी की है। प्रतिभा सिंह ने पार्टी हाइकमान को आश्वस्त किया कि विजयी पार्टी विधायक शिमला में ही रहेंगे। दलबदल का कोई भी भय नहीं है।

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