यौनकर्मियों को कानूनी राहत कब तक?

के. विक्रम राव  वेश्यावृत्ति तथा राजनीति केवल दो ऐसे वृत्तियां हैं जहां अनुभवहीनता ही अर्हता मानी जाती हैं। यूं तो मिस्त्री और शल्य-चिकित्सक में सादृश्य हैं, पर समानता नहीं। मसला है कि यदि नारी के पास जीविकोपार्जन हेतु साधन ना होता ? “तो वह भूखों मरे ? अथवा वेश्यागिरी अपनाएं या फिर पुल से कूद … Continue reading यौनकर्मियों को कानूनी राहत कब तक?