- अनुराग के हमीरपुर में कांग्रेस ने बढ़ाई बढ़त
- राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी घर में नहीं बचा पाए लाज
- हिमाचल में ‘ऑपरेशन लोटस’ से बची तो सरकार बना सकती है कांग्रेस
अर्जुन मेहता व आशीष दूबे
नई दिल्ली। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुक़ाबला लगातार टाई दिख रहा है। हाई-फाई चल रहे चुनाव में अभी कांग्रेस क़रीब नौ सीटों पर आगे चल रही है। लेकिन आँकड़ों की बात करें तो 15 सीटें ऐसी हैं, जहां पाँच सौ के कम वोटों पर हार-जीत का अंतर चल रहा है।
हिमांचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि हम पाँच बरसों तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाएँगे। वह यह भी कहते हैं कि जिसे हाई कमान चाहेगा, वो मुख्यमंत्री बनेगा। वहीं हिमाचल की प्रदेश अध्यक्ष का नाम सबसे तेज़ी से ऊपर आ रहा है। लेकिन एक तबका और है जो यह कह रहा है कि विपक्षी पार्टी की ओर से विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा सकती हैं।
हिमाचल में सरकार बनाने के लिए और भाजपा को नाकाम करने के लिए कांग्रेस ने पहले से ही कमर कस ली हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा द्वारा विधायकों के अवैध शिकार के प्रयासों को रोकने के लिए कांग्रेस अपने विधायकों को राजस्थान में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है।
सूत्रों ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ‘ऑपरेशन लोटस’ से बचने के लिए विधायकों को स्थानांतरित करने का काम सौंपा गया है। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आलाकमान के साथ पूरी तरह से इस ऑपरेशन से बचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस सीबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियों के साथ-साथ बीजेपी से लड़कर यह जीत हिमाचल में आई है।
घर भी नहीं बचा पाए दिग्गज
केंद्रीय सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल के हमीरपुर ज़िले के रहने वाले हैं। वहाँ के चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस आगे चल रही है। यानी अपने गृह ज़िले में अनुराग ठाकुर का जलवा नहीं चला। वहीं पार्टी के अध्यक्ष बिलासपुर ज़िले की चार सीटों में दो पर कांग्रेस आगे चल रही है यानी उनका चेहरा भी बीजेपी को जीत दिलाने में नाकाफ़ी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो विधानसभा सीटों और एक लोक सभा सीट पर पार्टी की लाज बचाने में असफल साबित हुए हैं। वहीं गुजरात में ब्रांड मोदी ने ऐसा गुल खिलाया कि बीजेपी सातवीं बार सत्ता के रथ पर सवार होने जा रही है, वो भी रिकार्ड जीत के बाद। इसका मतलब यह कि मोदी के बाद कौन होगा बीजेपी का बड़ा चेहरा इस पर अभी मुहर लगनी बाक़ी है।