कांग्रेस आला कमान का नये प्रयोग पर उठने लगे सवाल
आरके यादव
लखनऊ। कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज कर दूसरे दलों से आए नेताओं का अधिक तरजीह दी है। कांग्रेस हाईकमान को यह नया प्रयोग कितना कारगर साबित होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। कांग्रेस की नई टीम के लिए नगर निकाय चुनाव को चुृनौती के रूप में ले रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले नगर निकाय चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की दयनीय हालत को सुधारने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने एक नया प्रयोग किया है।
इस प्रयोग में दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ जातीय समीकरण का संतुलन बनाने के लिए प्रत्येक वर्ग से प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत किया है। बहुजन समाज के बिखराव को समेटने के लिए कांग्रेस ने दलित संवर्ग को जोडऩे के लिए प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी की नियुक्ति कर ऐसा संदेश देने का प्रयास किया है। इसी प्रकार अल्पसंख्यकों की पार्टी में पुन. वापसी के लिए प्रांतीय अध्यक्ष की कमान नसीमुउद्दीन सिद्धीकी को सौंपी गई है। ब्राहमणों को एकजुट करने की जिम्मेदारी हाल ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री नकुल दूबे एवं योगेश दीक्षित को दी गई है।
इसी प्रकार पिछड़ा वर्ग को जोडऩे की जिम्मा अनिल यादव के साथ भुमिहार व अन्य संवर्गो के लिए अजय राय और विधायक वीरेंद्र चौधरी को सौंपी गई है। कांग्रेस हाईकमान की उम्मीदों पर यह टीम कितनी खरी उतरती है यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस हाईकमान के इस नए प्रयोग पर प्रदेश कांग्रेस नेताओं की माने तो आला कमान ने प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करके दूसरे दलों से आए नेताओं को अधिक तरजीह दी गई है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं एनएसयूआई एवं युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एसपी गोस्वामी का कहना है कि हाईकमान की गलत नीतियों की वजह से प्रदेश में कांग्रेस का वोट बैंक खत्म ही हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले नगर निकाय चुनाव में यह सच सामने आ जाएगा। उधर प्रदेश कांग्रेस की नई टीम नगर निकाय चुनाव को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी प्रांतीय अध्यक्ष अपने-अपने आवंटित क्षेत्रों में पार्टी के रूठे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की मान मुनव्वल में जुटे हुए है। आला कमान की नई टीम संगठन की लगातार समीक्षा कर अपनी पुरानी साख को वापस लाने में जुटी हुई है। किंतु वर्तमान हालात में निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए भाजपा, सपा, बसपा को चुनौती देना आसान नहीं होगा।