स्वतन्त्रता-संघर्ष की थाती बचाएं!
के. विक्रम राव
रिफा-ए-आम की बदहाली पर अवधी संस्कृति के जानकार स्व. योगेश प्रवीन ने कहा था: “इस जगह की हालत राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक गौरव को लेकर हमारी शोशेबाजी की पोल खोलती है। पता चलता है कि इतिहास को लेकर हम असल में कितने संजीदा और संवेदनशील हैं। ये इस इमारत की बदकिस्मती है कि ये लखनऊ में है, जहां राष्ट्रीय इतिहास को कूड़े की वस्तु समझा जाता है।
यही अगर किसी सही जगह होती तो देश प्रेमियों का तीर्थ कहलाती। अवध के कुछ इस्लामी शासकों जिनकी राजधानी लखनऊ थी, ने विदेशी आक्रमणकारियों को हराया था। लोदी बादशाहों की मदद कर अवध के नवाबों ने बाबर का भी विरोध किया था। तभी सआदत अली खान ने स्वतंत्र नवाब वंश की स्थापना की थी। अवध के नवाब शुजाउछौला बक्सर (1764) के युद्ध मे ब्रिटिश जनरल हेक्टर मुनरो से लड़े थे।
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यही की बेगम हजरत महल ने तो 1857 में फिरंगियों को कड़ी टक्कर दी थी। स्वाधीनता संघर्ष के केन्द्रो तथा प्रतीकों को सवारने हेतु नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने बीड़ा उठाया है। रिफा-ए-आम क्लब आजादी की थाती है। अतः इसे सँवारने हेतु प्रधानमंत्री से गुहार है। खासकर उनके सहयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से।