कांग्रेस ने शुरू की पुराना वोट बैंक वापस लाने की कवायद!

हाईकमान कर रहा अपनों पर सितम, गैरो पर रहम

राकेश कुमार

लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों की नजर दलित वोट बैंक पर लगी हुई है। भाजपा व सपा के बाद अब कांग्रेस भी दलित वोट के सहारे 2024 की जंग पूर्व बसपा के सहारे जीतने की जुगत में लग गई है। कांग्रेस आला कमान के शनिवार को नियुक्त किए गए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष का मनोनयन भी कुछ ऐसे ही संकेत देती दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस ने नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ पांच प्रांतीय अध्यक्ष भी घोषित किए। नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर छह नियुक्तियां की गई। इसमें तीन पूर्व बसपा के वरिष्ठ नेता और तीन ही कांग्रेस के नेता शामिल है। कांग्रेस आला कमान ने शनिवार की दोपहर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का बृजलाल खाबरी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुृक्त किया। इसके अलावा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री नसीमुउद्दीन सिद्धीकी, बसपा छोडक़र कांग्रेस में शामिल हृृए नकुल दूबे को प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठï नेता एवं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के कद्दावर नेता अजय राय, इटावा जनपद के पूर्व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल यादव व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सक्रिय पदाधिकारी योगश दीक्षित को प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त किया है।

हकीकत यह है कि कांग्रेस आला कमान ने तीन बसपा और तीन कांग्रेसियों के भरोसे वर्ष-2024 के लोकसभा चुनाव में नैय्या पार लगाने की तैयारी मानी जा रही है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेसियों में हलचल मची हुई है। नए चेहरे का कमान सौंपे जाने को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाईं जा रही है। चर्चा है कि कांग्रेस आला कमान ने भी भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी की तरह ही दलित वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए यह कवायद की है। दलित वोट बैंक को लेकर इस समय प्रदेश के राजनीतिक दलों में घमासान मचा हृआ है। प्रत्येक राजनीतिक दल लुभावनी घोषणाएं करके दलित वोट बैंक को अपने पाले में करने की फिराक में जुटा हुआ है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान का यह कदम भी अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने की कवायद माना जा रहा है। कांग्रेस हाईकमान का यह कदम कितना कारगर होगा यह तो चुनाव के बाद सामने आएगा।

नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा ने कांग्रेसियों को ही चौंकाया

अपनों पर सितम, गैरों पर रहम यह कहावत कांग्रेस हाईकमान पर एक दम फिट बैठती है। प्रदेेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर कांग्रेसी नेता भले ही हर्ष व्यक्त कर रहे हो लेकिन हकीकत कुृछ और ही देखने को मिल रही है। पुराने कांग्रेेस नेताओं का मानना है कि दूसरे दलों से कांग्रेस आला कमान दूसरे दलों से आए नेताओं को तरजीह दे रहा हैे वहीं अपना पूरा जीवन कांग्रेस के लिए समर्पित करने वाले नेताओं का नजरअंदाज किया जा रहा है। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेता हताश नजर आए। कांग्रेस आला कमान ने प्रदेश अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदारों को दरकिनार करके एक नए चेहरे का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। जिसको कांग्रेस के नेता न तो जानते और न ही पहचानते हैं।

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