राजेश जायसवाल
भैरहवा/नेपाल। नेपाल केवल प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज देश ही नहीं है, यहां सैलानियों के लिए और भी बहुत सारे इंतजाम है। इसमें से एक है कैसिनो! नेपाल के जितने बड़े होटल हैं,वे सब कैसिनो अटैच्ड हैं। कैसिनो को हम अपने हिंदी पट्टी की भाषा में कहें तो यह जुआघर है। यहां थोड़ा चमक दमक है,जुआ खेलाने के तौर तरीके मार्डन है,आपको बैठकर खेलने के बढ़िया इंतजाम है,सामने हसीन बालाएं हैं जिनके हाथों में जाम होते हैं जिसे वे जरूरत मंदो को मोहक अदाओं से परोसने में माहिर होती हैं। यानि कुल मिलाकर यहां आपको बर्बाद करने के उम्दा इंतजाम और आकर्षण होता है। लेकिन एक बात भी है,वह यह कि नेपाल के भीतर जितने भी कैसिनो है, उसमें खेलने के लिए नेपाली नागरिकों की इंट्री बैन है। क्योंकि यहां आप लुटने आते हैं लूटने नहीं। यह प्रतिबंध सरकार की ओर से है। हैरत है कि भैरहवा से लगायत काठमांडू तक के कैसिनो भारत के तमाम शहरों के शौकीनों से भरे रहते हैं। नेपाल के कैसिनो संचालकों ने भारतीय जुआड़ियों की नब्ज पकड़ ली है।
उनकी सुविधा के लिए अब भारत सीमा से सटे नेपाली कस्बों तक कैसिनो का बिस्तार हो चुका है जहां हर रोज भारतीय शौकीन वह नवधनाढ्यों के लड़के जाते हैं और लुट खप के चले आते हैं। भारत सीमा से सटे नेपाल के भैरहवा कस्बे की बात करें तो अकेले इस सीमावर्ती कस्बे में तीन चार कैसिनो है जहां प्रतिदिन 50 लाख से अधिक की भारतीय करेंसी का गेम होता है। खास बात है कि इन कैसिनो में कभी किसी भारतीय को जीतते हुए नहीं देखा गया। यदि कोई भारतीय शुरुआत के एकाध चांस जीतता है तो उसे तबतक खेलाया जाता है जबतक वह जीती हुई रकम के साथ अपना लाई पूंजी न हार जाय। सोचिए यदि भैरहवा जैसे छोटे कस्बे में जुआ के जरिए 50 लाख तक की मुद्राएं नेपाल को हासिल हो रही है तो पूरे नेपाल के कैसिनो में जुआड़ियों की हारी हुई कितनी भारी मात्रा में भारतीय रकम नेपाल की तिजोरी में जा रहा है।