मरीज़ तड़पता रहा डॉक्टर मूकदर्शक बने रहे
चित्रकूट जिले का मामला
लखनऊ। एक ओर जहां स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक घूम घूमकर सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का सही इलाज हो, लेकिन अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों का रवैया फिलहाल बदलता नज़र नहीं आ रहा है। यूपी के चित्रकूट जिले में एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां डॉक्टरों ने मानवता की सभी हदें पार कर दी। आरोप है कि, तेज बुखार से पीड़ित एक युवक अस्पताल के गेट पर पर घंटों तड़पता रहा और जिम्मेदार डॉक्टर मूकदर्शक बने रहे। परिजन डॉक्टरों के हाथ जोड़ते रहे, युवक को भर्ती करने के लिए पिता डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। डॉक्टरों ने बुखार में तप रहे युवक को बिना देखे ही प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। यह मामला मानिकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है।
जानकारी के मुताबिक धर्मपुर गांव निवासी कल्लू को तेज बुखार आ रहा था। कल्लू को इलाज के लिए उसका पिता गोपाल सुबह 10 बजे मानिकपुर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचा। आरोप है कि, यहां डॉक्टरों ने कल्लू को देखे बिना ही सीधे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इस दौरान लाचार पिता डॉक्टरों के सामने बेटे को भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन डॉक्टरों को रहम नहीं आया। मजबूर पिता बुखार में तप रहे बेटे को अस्पताल के बाहर ही लेटाकर डॉक्टरों की मिन्नतें करता रहा, लेकिन कई घंटे बीतने के बाद भी किसी भी डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया। तेज बुखार से तड़पता कल्लू अपनी मां की गोद में फर्श पर लेटा रहा।
आरोप है कि, पिता बेटे को भर्ती करवाने के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटता रहा। कई घंटे बीतने पर वहां कुछ मीडिया कर्मी पहुंचे। कल्लू का वीडियो बनाकर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की। जब मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो आनन-फानन डॉक्टरों ने चार घंटे बाद कल्लू का प्राथमिक इलाज करना शुरू किया। इसके कुछ घंटे बाद ही डॉक्टरों ने फिर से उसे लिखित में जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे की बड़ी संवेदनहीनता उजागर हुई है।