आला अधिकारियों के तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं थम रही घटनाएं
दरिंदे बेकाबू, पुलिस बेबस
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। हाथरस कांड, बदायूं दुष्कर्म कांड, लखनऊ में छात्रा की गैंगरेप के बाद हत्या कांड, राजधानी लखनऊ में ही महिला के साथ हुई दरिंदगी के बाद सचेत हुए पुलिस के आलाधिकारियों की सख्ती के बाद भी महिलाओं व लड़कियों के साथ अपराध कम नहीं हो रहे हैं।
,,,, पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर खाकी की काली छाया,,,
17 जुलाई 2014- राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र के बालसिंह खेड़ा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में दरिंदगी के बाद महिला की बेरहमी से हत्या।
15 फरवरी 2016– लखनऊ के जानकीपुरम निवासी एक छात्रा की गैंगरेप के बाद हत्या।
10 जून 2011- लखीमपुर खीरी जिले के निघासन थाने में लड़की की पेड़ से लटकी लाश मिली। पुलिस ने बताया खुदकुशी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस की थ्योरी की खुली पोल।
वर्ष 2011- बदायूं में पेड़ से लटकी दो बहनों का शव मिला। इस मामले में भी पुलिस का झोल दिखा।
वर्ष 2013- फतेहपुर में एक आठ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस पर मनचाही रिपोर्ट बनवाने का आरोप लगा।
इन सनसनीखेज मामलों को लोग बाग भुला भी नहीं पाए थे निघासन क्षेत्र में दो सगी बहनों को दरिंदों ने मौत की नींद सुलाने के बाद एक बार फिर पुलिस सक्रियता की पोल खोल दी। ये तो बानगी भर है। गौर करें तो राजधानी लखनऊ के चिनहट थानाक्षेत्र में 25 जनवरी 2011को निजामपुर मल्हौर निवासी एक युवती की बेखौफ दरिंदों ने उस मौत की नींद सुलाया था जब वह घर से चिनहट कस्बा में सिलाई सिखने के लिए जा रही थी।
इस मामले पोस्टमार्टम में डॉक्टरों ने खूब झोल किया और रिपोर्ट में बता दिया था कि न तो हत्या की गई और न ही रेप।
समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई खबर के बाद दूसरे दिन कांग्रेस नेता पीयल पुनिया पीड़ित परिवार के घर पहुंचे और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद हरकत में आए आलाधिकारियों ने आनन फानन कब्र खुदवाया और शव को दोबारा पोस्टमार्टम कराया गया तो रेप के गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई तो दागी डॉक्टरों की पोल खुल गई और निलंबित हुए। सवाल है कि यह कारनामा आज से नहीं बल्कि पुराना चला आ रहा है।