
कहा: राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के हाथ का कठपुतली नहीं होना चाहिए
रंजन कुमार सिंह
रायपुर। राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा शुक्रवार को रायपुर पहुंचे, जहां उन्होंने छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों से राष्ट्रपति चुनाव में खुद के लिए समर्थन मांगा। गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा इस समय अलग-अलग राज्यों का दौरा करके विधायकों और सांसदों से वोट देने की अपील कर रहे हैं। सिन्हा ने राजधानी रायपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कई बड़ी बातें कहीं। उनके साथ प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम भी मौजूद रहे।
यह विचारधारा की लड़ाई है
यशवंत सिन्हा ने रायपुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि यह संख्या बल कि नहीं विचारधारा की लड़ाई है। उन्होंने केंद्र की एनडीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार सरकारी एजेंसियों के गलत इस्तेमाल कर रही है। कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है कि आप अपने प्रतिद्वंद्वियों की आवाज़ दबाने के लिए शासकीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।अपनी उम्मीदवारी को लेकर एनडीए को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपने पत्ते देख रहे हैं, मेरे नहीं इसलिए दांव लगा रहे है। मैं ये कहूंगा ये लड़ाई सिर्फ संख्या बल की लड़ाई नहीं है,यह लड़ाई विचारधारा की लड़ाई है। उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में सहमति की राजनीति नहीं हो रही है, सहमति बन सकती थी पर राष्ट्रपति चुनाव में सहमति नहीं बनाई गई क्योंकि सरकार टकराव की राजनीति करना चाहती है।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद है, आपसी सहमति से किसी एक नाम को चुना जा सकता था, लेकिन यह हो नहीं पाया। महज औपचारिकता निभाने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुझे फोन करके कहा था कि एक राय होनी चाहिए, लेकिन उन्होंने प्रत्याशी का नाम नहीं बताया। इसी बीच कई बैठके हुई जिसमें मुझसे पूछा गया कि क्या मैं उनका साझा उम्मीदवार बनना चाहूंगा जिसपर मैनें हामी भरी थी, ठीक उसी दिन सत्ता पक्ष ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी। इस तरह मैं चुनावी मैदान में हूं। उन्होंने कहा कि संविधान में राष्ट्रपति के कुछ कर्तव्य निर्धारित है। ऐसा हुआ है कि इस पद पर रहे लोगो ने इसकी शोभा बढ़ाई है। कभी- कभी ऐसा भी हुआ कि ख़ामोश रहने वाले लोग भी पद पर आये। मैं चाहता हूं कि हमें खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए। कोई ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति बने जो अपने संवैधानिक अधिकारों का पालन कर सके। हालाकिं सिन्हा ने आगे स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार से टकराव जैसी बात नहीं है,लेकिन उन्हें सलाह-मशविरे की उम्मीद थी।
राष्ट्रपति को नहीं होना चाहिए प्रधानमंत्री का कठपुतली
यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज देश मे चारो तरफ अशांति का वातावरण है। इसके बीच एक विचारधारा है, जो लोगो को बांट कर रखना चाहती है। सरकार खुद ही इसे बढ़ावा देती है। राष्ट्रपति का एक अधिकार है। वह सरकार को मशविरा दे सकते हैं ,लेकिन वह प्रधानमंत्री की कठपुतली है, तो वह काम नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि मै बहुत उम्मीद लेकर छत्तीसगढ़ में आया हूं, मुझे विश्वास है कि मेरी ये उम्मीद पूरी होगी। यहां जो दल मुझे समर्थन दे रहे हैं उनका मैं आभारी हूं , मैं अपने भाजपा के पुराने साथियों से भी कहना चाहता हूं कि आपको भी मेरा सहयोग करना चाहिए, लकीर का फ़क़ीर नहीं होना चाहिए।
अग्निपथ योजना से असहमत
यशवंत सिन्हा ने अग्निपथ योजना के मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना को मैं सही नहीं मानता हूं क्योंकि दुनियाभर में इस तरह को सेवाओं में कहीं 2 साल कही 4 साल लोग सेना में सर्विस देते हैं, लेकिन हमारा देश बाकी देशों से अलग है। इसलिए हमने बीच का रास्ता निकाल लिया है। सरकार को संसद की रक्षा समिति में इसे रखकर कुछ संशोधनों के साथ लाना था। इस योजना को लेकर जितना बवाल कटा यह सब जरूरी नहीं था। इसलिए सरकार से कहूंगा वह इसे अभी भी समय रहते सुधारे।