आखिर क्या है अरविंद केजरीवाल का शराब घोटाला..?

रंजन कुमार सिंह

ये पब्लिक है सब जानती है, वाला डॉयलाग आप सभी ने सुना होगा। यदि नहीं जान रहे हैं तो थोड़ा ये पढ़ लीजिए। दिल्ली की आम आदमी पार्टी वाली सरकार 17 नवंबर 2021 को एक शराब नीति लेकर आई। तब सरकार ने ये दावा किया था कि इस नीति से शराब माफिया का राज खत्म हो जाएगा और सरकार को ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होगी। लेकिन इस नई पॉलिसी में शराब का पूरा कारोबार सरकार के हाथ से छिटककर निजी हाथों में चला गया। हालांकि ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ा तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया।

बताते चलें कि इस घोटाले का खुलासा दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से आठ जुलाई 2022 को हुआ था। अपने रिपोर्ट में नरेश ने मनीष सिसोदिया समेत ‘आप’ के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाया था एवं दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो(CBI) से जांच की सिफारिश कर डाली थी। फिर 17 अगस्त 2022 को CBI ने केस दर्ज किया। कुछ दिनों बाद इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप शुरू हो गया और मनी लॉन्ड्रिंग की बात निकलकर आने लगी, तभी इस घोटाले में ED का नाम भी आ गया और ED ने कई केस भी दर्ज किए।

पुरानी शराब नीति:

750ML थोक कीमत          166.73

एक्साइज ड्यूटी             223.88

VAT                                      106.00

रिटेलर कमीशन                  33.39

एमआरपी                       530.00

नई शराब नीति लागू मार्च 2022

750ML थोक कीमत         188.41

एक्साइज ड्यूटी             1.88

VAT 1%                             1.90

रिटेलर कमीशन                  363.27

अतिरिक्त एक्साइज           4.54

एमआरपी                   560.00

इस प्रकार पुरानी शराब नीति में एक बोतल पर सरकार की कमाई 329.89 रुपये और नई शराब नीति में मात्र 8.32 रुपये होती है। यानी नई नीति से  प्रति बोतल 321.57 का सरकार को घाटा। पुरानी नीति में रिटेलर का कमीशन 33.39 रुपये जबकि नई नीति में रिटेलर का कमीशन 363.27 रुपये होता अर्थात प्रति बोतल 330.12 रुपये का रिटेलर को फायदा।

यहां पर देखने से यह स्पष्ट होता है कि प्रति बोतल सरकार को जितना नुकसान होता है लगभग उससे भी थोड़ा ज्यादा रिटेलर को फायदा पंहुचता है। अब कोई भी समझ सकता है कि चतुराई से नई नीति बनाकर मैन्युफैक्चरर्स/ रिटेलर्स को फायदा पंहुचाया गया। अब ये फायदा निर्माता को कैसे पंहुचे तो नई नीति में मैन्युफैक्चरर्स को रिटेल में भी शॉप खोलने की अनुमति दे दी।

अब बिक्री के आंकड़े भी देख लीजिए।

पुरानी नीति में जहां शराब की बिक्री प्रतिमाह 132 लाख लीटर थी तो नई शराब नीति में प्रतिमाह शराब की बिक्री 245 लाख लीटर हो गई। इस बिक्री को बढ़ाने के लिए बाकायदा पीने बाले की उम्र घटाकर 18 साल और समय बढाकर रात्रि तीन बजे तक कर दिया। अब आप समझ गए होंगे कि ये कितना बड़ा और कट्टर घोटाला है और कितनी बड़ी कमाई केज़रीवाल एन्ड कम्पनी ने की है, जिसकी वजह से चीफ सेक्रेटरी को LG से CBI जांच के लिए कहना पड़ा। ये हाल उस पार्टी का है जो राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने का दावा करके प्रचंड बहुमत से सत्ता मे आई थी।

किस-किस की हो चुकी है गिरफ्तारी

दिल्ली के इस शराब घोटाला में अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, राज्य सभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके अलावा कई नेता, विधायक ED-CBI के रडार पर हैं। वहीं बड़े शराब कारोबारी समीर महेंद्रू, पी. शरत चंद्र रेड्डी, विजय नायर, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा को गिरफ्तार कर चुकी है। ये सभी लोग 2022 में गिरफ्तार हुए थे। इनके अलावा साल 2023 में ED ने गौतम मल्होत्रा, राघव मगुंटा, अमन धाल, अरुण पिल्लई, राजेश जोशी, मनीष सिसोदिया, दिनेश अरोड़ा और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।

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