- प्रीडायबिटीज से उबरने वालों को बड़ी राहत
प्रीडायबिटीज को अक्सर एक “चेतावनी अवस्था” माना जाता है, लेकिन अब यह साफ होता जा रहा है कि इससे बाहर निकलना जीवन रक्षक साबित हो सकता है। हालिया मेडिकल रिसर्च बताती है कि जिन लोगों ने प्रीडायबिटीज से छुटकारा पा लिया, उनके लिए दिल की गंभीर बीमारियों का खतरा नाटकीय रूप से घट गया।
द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, ब्लड शुगर को सामान्य स्तर पर लाने वाले मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर मौत और हार्ट फेलियर के मामलों में करीब 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। यह असर सिर्फ कुछ सालों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दशकों तक बना रहा। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक का फोकस केवल लाइफस्टाइल सुधार पर रहा है। एक्सरसाइज, वजन कम करना और संतुलित आहार निश्चित रूप से जरूरी हैं, लेकिन अकेले ये उपाय दिल के जोखिम को कम करने में पर्याप्त नहीं पाए गए।
डॉ. एंड्रियास बिर्केनफेल्ड के अनुसार, “हम वर्षों से लोगों को बता रहे थे कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाएगा, लेकिन आंकड़े इस दावे की पूरी तरह पुष्टि नहीं करते।” उन्होंने स्पष्ट किया कि असली फर्क तब पड़ता है जब ब्लड ग्लूकोज स्तर वास्तव में सामान्य हो जाए।
इस अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि हेल्थ पॉलिसी में बदलाव की जरूरत है। केवल डायबिटीज की शुरुआत को टालना काफी नहीं, बल्कि प्रीडायबिटीज को पूरी तरह रिवर्स करना प्राथमिक लक्ष्य होना चाहिए।
प्रीडायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है। भारत जैसे देशों में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां हृदय रोग पहले से ही मौत का बड़ा कारण है। ऐसे में यह रिसर्च डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए एक नई दिशा तय करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में प्रीडायबिटीज से मुक्ति को कार्डियोवैस्कुलर प्रिवेंशन का अहम हिस्सा माना जाएगा। इससे न केवल दिल की बीमारियों में कमी आएगी, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाला बोझ भी घटेगा।
