गोविंदा द्वादशी आज है, जानिए शुभ तिथि व पूजा विधि और उत्सव…

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता 

गोविंदा द्वादशी व्रत को हिन्दू धर्म में विशेष माना जाता है। यह व्रत हिन्दू मास के ‘फाल्गुन’ के दौरान शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी महीने में आता है। भगवान विष्णु के भक्तों के लिए गोविंदा द्वादशी का बहुत महत्व है। इस दिन हिंदू भक्त सुखी और समृद्ध जीवन के लिए भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। गोविंदा द्वादशी को ‘नरसिंह द्वादशी’ के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के ‘नरसिंह’ अवतार की पूजा की जाती है।

गोविंदा द्वादशी, नरसिंह द्वादशी की तिथि

द्वादशी तिथि प्रारंभ : 21 मार्च 2024 को 02 बजकर 23 मिनट पर।

द्वादशी तिथि समाप्त : 22 मार्च 2024 को सुबह 04:44 बजे।

गोविंदा द्वादशी व्रत का महत्व

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी को गोविंदा द्वादशी व्रत विधान है। गोविदा द्वादशी का व्रत पूर्णरूप से भगवान विष्णु का समर्पित है। यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति, समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला होता है।

पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना चाहिए,

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ऊँ नमो नारायणाय नमः

श्रीकृष्णाय नमः, सर्वात्मने नमः

इन मंत्रों का जाप जातक को व्रत धारण कर पूजन के दौरान करना चाहिए। इससे व्रत को पूर्णता प्राप्त होती है।

गोविंदा द्वादशी का उत्सव

भारत के राज्य पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इस त्योहार का उत्सव बहुत विस्तृत और महत्वपूर्ण ंहै। गोविंदा द्वादशी के उत्सव के अलावा द्वारकाधीश मंदिर, तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर और भगवान विष्णु के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी लोकप्रिय है। गोविंदा द्वादशी को भारत के दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

गोविंदा द्वादशी की पूजा

गोविंदा द्वादशी के दिन सुबह सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान नरसिंह व विष्णु की प्रतिमा की पूजा आदि करनी चाहिए। पूरे दिन का उपवास करना चाहिए। गोविंदा द्वादशी के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए। गोविंदा द्वादशी पर भक्त भगवान विष्णु के ‘पुंडरीकाक्ष’ रूप की पूजा करते हैं। वे फल, फूल, चंदन का लेप, तिल (तिल), धूप और अगरबत्ती के रूप में भगवान को कई प्रसाद चढ़ाते हैं। गोविंदा द्वादशी पर, भक्त शाम के समय भगवान विष्णु के मंदिरों में पूजा अनुष्ठान में भाग लेना चाहिए। गोविंदा द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप और ‘ नरसिंह कवच’ मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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