जानें कुंडली में क्या होता है चंद्र मंगल योग, किन लोगों के लिए होता है विशेष लाभकारी

  • जिन जातकों का जन्म चंद्र मंगल योग में होता है वे होते हैं क्रोधी, लेकिन जीवन में कभी मानते नहीं हार
  • कुंडली के पांचवें घर में यह योग बने तो जातक को शुभ फल प्रदान करता है धन, समृद्धि, कलात्मकता

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में दो या दो से अधिक ग्रह किसी एक ही राशि में स्थित हो तो ऐसी अवस्था को ग्रहों की युति कहते हैं और इसके विपरीत जब दो या दो से अधिक ग्रह सातवें घर से एक-दूसरे को देख रहे हों तो ऐसी अवस्था ग्रहों की प्रतियुति कहलाती है।

ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा को स्त्री स्वभाव का माना गया है। यह कर्क राशि का स्वामी होता है और इसकी उच्च राशि वृषभ और नीच राशि वृश्चिक होती है। इसको मन का कारक कहा जाता है। यह सूर्य के जितने करीब होता है कमजोर हो जाता है और जितना दूर होता है उतना शक्तिशाली हो जाता है। वहीं मंगल को पुरुष ग्रह और क्रूर ग्रह कहा जाता है। यह वृश्चिक राशि का स्वामी होता है और इसकी उच्च राशि मकर एवं नीच राशि कर्क होती है। कुंडली में नीच का मंगल होने पर दुर्घटना, रक्त विकार या हृदय रोग की समस्या पैदा हो सकती है।

कुंडली में चंद्र मंगल योग का निर्माण

ऐसे में जब किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक ही घर में विराजमान होते हैं तो चंद्र मंगल योग बनता है। परंतु इस योग से शुभ और अशुभ दोनों ही फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, यदि जातक का जन्म मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक, मकर, मीन लग्न या राशि में हुआ है तो उस जातक के लिए चंद्र-मंगल योग शुभ फल प्रदान करता है।

चंद्र मंगल योग शुभ फलदायक

यदि किसी जातक की कुंडली के पांचवें घर में यह योग बनता है तो जातक को धन, समृद्धि, कलात्मकता आदि शुभ फल प्रदान करता है। वहीं दशवें घर में चंद्र मंगल योग बनने से जातक को व्यापार में सफलता और नौकरीपेशा वालों के पदोन्नति प्राप्त होती है। दूसरी ओर जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल दोनों अशुभ स्थिति में हो तो यह योग अशुभ फलदायी होता है।

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चंद्र मंगल योग अशुभ फलदायी

यदि किसी की कुंडली के दसवें भाव में अशुभ चंद्र मंगल योग बन रहा है तो जातक अनैतिक कार्यों में संलग्न हो सकता है। साथ ही गलत तरीके से धन कमाने के लिए भाई बहन को भी आसानी से धोखा दे सकता है। ऐसे लोगों की समाज में कोई इज़्ज़त नहीं होती है। कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और दसवें घर में यदि चंद्र मंगल योग बनता है तो जातक मांगलिक होता है। साथ ही जातक की मैरिड लाइफ में बहुत सी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। पति-पत्नी आपस में हमेशा लड़ते रहते हैं और हिंसा तक पर उतर आते हैं।

इसके अतिरिक्त कुंडली के पहले घर में शुभ चंद्रमा के साथ अशुभ मंगल युति की वजह से जातक को स्वास्थ संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है। जबकि पहले घर में शुभ मंगल और अशुभ चंद्रमा की युति से जातक अनैतिक और अवैध तरीके से धन कमाने की कोशिश करता है।

जन्म के महीने से भी जाना जा सकता है स्त्रियों का स्वभाव

चंद्र मंगल योग में जन्मे जातक

वहीं जिन जातकों का जन्म चंद्र मंगल योग में होता है वे लोग क्रोधी स्वभाव के होते हैं लेकिन जीवन में कभी हार नहीं मानते हैं। इन जातकों का दिमाग शातिर और तेज होता है। परंतु धोखा देने से संकोच नहीं करते हैं। इनका आकर्षण स्त्रियों के प्रति अधिक होता है। हालांकि इनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय होता है लेकिन बाद का जीवन सुख-सुविधा के साथ गुजरता है। चंद्र मंगल युति वाले जातक धन संचय करने और निवेश करने में काफी चतुर होते हैं। ऐसे जातक यदि ज्योतिषी, डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक या अधिकारी या नेता के तौर पर कार्य  करते हैं तो प्रसिद्धि पाते हैं।

 

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