कविता : कर्म योग एवं आत्म-दर्शन

कर्नल आदि शंकर मिश्र
   कर्नल आदि शंकर मिश्र

छिति, जल, पावक, गगन, समीर,
पाँच तत्व मिल बना अग़म शरीर,
सत, रज, तम गुण मानव तन के,
मन रहता इनसे ही अति अधीर ।

गीता ज्ञान यही देता है, क़र्म योग
कर देता है जीवन का नीर छीर,
भौतिक चका-चौंध का घना
तिमिर उपजाता है सुख-पीर ।

राग, द्वेष, इच्छा, घमंड, सुख-
दुःख, धैर्य पनपें मानव मन के,
परमात्मा अंश बसे, आत्मा
बनकर इस नश्वर तन में।

सत्कर्म और दुष्कर्म किये जाते,
तन- मन के अपने ही विवेक से,
जीवन काया इस मानव जन्म की,
उत्तम होती सब जीवों के जीवन से।

क़र्म तो करे मानुष तन मन के,
ईश्वर अंश आत्म- विवेक से,
अपनी अंतर आत्मा के दर्शन
करना पड़ता अपने ही विवेक से।

आत्म परिष्कृत होने का इस
जीवन का सुंदर लक्ष्य बने,
मोक्ष तभी है जन्म से मिलता,
धर्म, अर्थ से जब काम करे।

पर हम पाश्चात्य दिखावे की
बनावटी दुनिया से ठगे गये,
इधर के रहे न उधर के, त्रिशंकु
बन कर, हम मूरख ही बने रहे।

समृद्धि संस्कृति, अपना गौरव,
इतिहास अलौकिक भूल चले,
आधुनिकता की भौतिक़ता में
आदित्य सनातनी छले गये।

 

Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More