कविता : इन्साँ इन्साँ से मिलकर

कर्नल आदि शंकर मिश्र,


इन्साँ इन्साँ से मिलकर
इन्सानियत सिखलायें,
औरों का दुःख देखें पहले,
ख़ुद का दुःख दर्द भुलायें।

अपने सुख साधन से पहले,
औरों के सुख साधन खोजें,
प्रेम त्याग का संगम अनुपम,
परहित ही हम सबको भाये।

हिलमिल कर ऐसी ही ताक़त,
आओ बनकर हम दिखलायें,
शिकवा गिला सभी मिट जायें,
ईर्ष्या द्वेष नफ़रत भी शरमायें।

शान्ति समान नहीं कोई तप,
दया समान धरम नहिं दूजा,
तृष्णा सम रोग नहीं कोई,
जीवन में संतोष श्रेष्ठ पूजा।

मानव के ख़ातिर जग में जीना,
मानवता के ख़ातिर ही मरना,
आदित्य प्यासे को पानी देना,
भूखे नंगे को भोजन कपड़े देना।

 

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