क्रिकेट कूटनीति की जीत

डॉ दिलीप अग्निहोत्री


भारत और ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच सामन्य नहीं था।अहमदाबाद के स्टेडियम में दोनों देशों के प्रधानमंत्री भी मौजूद थे। पिच पर दोनों टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा थी। इसी समय अनेक क्षेत्रों में भारत ऑस्ट्रेलिया के बीच साझेदारी आगे बढ़ रही थी। कुछ ही दिनों के अन्तराल में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री, विदेश मंत्री, रक्षामंत्री, शिक्षा मंत्री की भारतीय समकक्षों से वार्ता हुई। इन सभी में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने का जज्बा दिखाई दिया। विदेश नीति में क्रिकेट भी एक तत्व बन जाता है। दोनों देशों के प्रधानमंत्री इस पिच पर भी गर्मजोशी से आगे बढ़े। तात्कालिक और दूरगामी विषयों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। तात्कालिक मसलों का ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने समाधान किया। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भरोसा दिलाया कि उनके देश में मंदिरों पर हमले और खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों के संबंध में वहां के कानूनों के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हिन्दू मंदिरों पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाया था।

उन्होंने संयुक्त प्रेस वक्तव्य के दौरान कहा कि भारत के लोगों की भावनाओं और चिंताओं से उन्हें अवगत कराया है। यह आश्वासन दिया गया है कि भारतीयों की सुरक्षा को ऑस्ट्रेलिया विशेष प्राथमिकता देता है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने कहा कि ऑस्ट्रलिया और भारत सरकारों ने शिक्षा योग्यता मान्यता मैकेनिज्म को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत भारत की डिग्री ऑस्ट्रेलिया में और वहां की डिग्री भारत में मान्य होगी। अल्बनीस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय यहां गुजरात के गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में एक अंतरराष्ट्रीय कैंपस स्थापित करेगा। दोनों देशों के बीच बहुस्तरीय सुरक्षा सहयोग है। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में साझा चिंताओं और चुनौतियों का सामना करने के उपायों के बारे में दोनों नेताओं ने विचार-विमर्श किया।

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दोनों प्रधानमंत्रियों ने रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी सहयोग के साथ ही विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, अक्षय ऊर्जा, शिक्षा, दुर्लभ खनिज तथा व्यापार क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष जताया।  यह भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली वार्षिक शिखर वार्ता थी। दोनों देशों के बीच सामरिक महत्व की साझेदारी बढ़ती जा रही है।क्योंकि हम एक साथ अपने क्षेत्र की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत शीर्ष स्तरीय सुरक्षा भागीदार है। हिंद महासागर दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि का केंद्र है।  दोनों देश अपने व्यापार और आर्थिक भलाई के लिए इंडो-पैसिफिक में समुद्री लेन तक मुक्त और खुली पहुंच पर निर्भर हैं। दोनों ही नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने और इंडो-पैसिफिक को खुला, समावेशी और समृद्ध सुनिश्चित करने के लिए एक अटूट प्रतिबद्धता साझा करते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार एक-दूसरे के क्षेत्रों में समुद्री गश्ती विमान तैनात किए इंडो-पैसिफिक एंडेवर और एक्सरसाइज ऑस्ट्राहिंद में तेजी से जटिल और परिष्कृत अभ्यास किए गए। ऑस्ट्रेलिया पहली बार मालाबार अभ्यास की मेजबानी करेगा और भारत भी पहली बार ऑस्ट्रेलिया के तावीज़मैन सेबर अभ्यास में भाग लेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की थी। दोनों मंत्रियों ने पारस्परिक विश्वास और समझदारी, समान हितों तथा साझा मूल्यों पर आधारित विस्तृत रणनीतिक साझेदारी को क्रियान्वित करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों मंत्रियों ने रक्षा अनुसंधान तथा सामग्री सहयोग पर भारत ऑस्ट्रेलिया संयुक्त कार्य समूह को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की। संयुक्त कार्य समूह रक्षा उद्योगों के बीच संबंधों को बढ़ाने की महत्वपूर्ण व्यवस्था है। भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के रक्षा औद्योगिक आधारों के बीच अवसरों को बढ़ाने के उपायों पर सहमति जताई। दोनों मंत्रियों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया पारस्परिक लॉजिस्टिक सहायता व्यवस्था के माध्यम से संचालन सहयोग प्रारंभ करने पर बातचीत की थी। कुछ समय पहले भारत ऑस्ट्रेलिया अमेरिका और जापान के संगठन क्वाड की भी बैठक हुई थी। इसमें दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में तनाव पैदा करने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया गया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित बैठक में हिन्द-प्रशांत में स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई थी इसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने भाग लिया था। चारों देश  एक समावेशी, लचीले, मुक्त और खुले हिन्द प्रशांत का पक्षधर है। समुद्री क्षेत्र में शांति और सुरक्षा भारत-प्रशांत क्षेत्र के विकास और समृद्धि का आधार है। विवादित प्रकृति के सैन्यीकरण, तट रक्षक जहाजों व समुद्री मिलिशिया के खतरनाक उपयोग और अन्य देशों के अपतटीय संसाधन शोषण गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। आतंकवादी हमलों के अपराधियों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अपने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम की प्रतिबद्धता दर्शायी गई थी। आतंकवाद-निरोधी क्वाड वर्किंग ग्रुप की स्थापना की भी घोषणा की गई थी।

यह वर्किंग ग्रुप आतंकवाद के नए और उभरते रूपों, हिंसा और हिंसक उग्रवाद के कट्टरवाद का मुकाबला करने के लिए क्वाड और हिन्द-प्रशांत भागीदारों के बीच सहयोग का पता लगाएगा। वैश्विक मुद्दे पर अपनी चर्चा जारी रखने के लिए इसी साल अमेरिका में इसकी पहली बैठक होगी। विदेश मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित होने वाले अगले क्वाड नेताओं के सम्मेलन को लेकर उत्सुकता दर्शायी। साथ ही चारों देश क्वाड एजेंडे को जापान की अध्यक्षता में G7, भारत की अध्यक्षता में G20 और अमेरिका के एपीईसी मेजबानी वर्ष के साथ तालमेल बैठाने के लिए मिलकर काम करेंगे।भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर के बीच नई दिल्ली में एक द्विपक्षीय बैठक के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता गत वर्ष आयोजित दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की प्रतिबद्धता का हिस्सा है, ऑस्ट्रेलिया और भारत ज्ञान स्तंभ को द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख पहलू बनाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा परिषद का दायरा कौशल विकास में सहयोग को शामिल करने के लिए विस्तृत किया गया है। योग्यता की पारस्परिक मान्यता के लिए जी-टू-जी तंत्र पर हस्ताक्षर, IEIF क्रिटिकल स्किल्स प्रोजेक्ट की घोषणा और ग्यारह संस्थागत समझौता ज्ञापन भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण हैं।भारत द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए, ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह विस्मयकारी है। दस नये MOU पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों देशों के बीच इस तरह के शैक्षिक समझौता ज्ञापन व्यावसायिकता की पारस्परिक मान्यता के लिए एक तंत्र स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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