नेपाल ने भारत को फिर दी टेंशन, भारतीय करेंसी से नहीं मिल रहा सामान: नेपाली सरकार ने रुपये पर लगाई रोक

उमेश तिवारी

काठमांडू/नेपाल। नेपाल ने भारत को एक बार फिर से टेंशन दी है। नेपाल में भारतीय करेंसी से सामान खरीदना मुश्किल हो गया है। नेपाल की सरकार ने 100 से ऊपर की भारतीय करेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे नेपाल में खरीदारी को जा रहे भारतीय लोग बैरंग वापस लौट रहे हैं। नेपाल के बदले व्यवहार से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। लोगों ने कहा है कि नेपाल में सालों से भारतीय करेंसी से खरीदारी होती रही है, अब नेपाल के कारोबारियों के व्यवहार में आए बदलाव से वे हैरान हैं। पड़ोसी देश नेपाल के बाजार में व्यापारी इन दिनों भारतीय रुपये नहीं ले रहे हैं। दरअसल, नेपाल में भारत की 100 से ऊपर की भारतीय करेंसी प्रतिबंधित है।

वर्ष 2020-21 में इस संबंध में आदेश पारित किया गया था। इस विधेयक को इन दिनों सख्ती से लागू किया जा रहा है। इसी के चलते नेपाली व्यापारी भारतीय करेंसी लेने से मना कर रहे हैं। इसके पीछे राजनीतिक कारण भी अहम माना जा रहा है। नेपाल मे मौजूदा सरकार नेपाली करेंसी को ही बाजार में बढ़ावा देनी चाहती है। इसे देखते हुए नेपाल सरकार ने बाजार में बड़े भारतीय नोटों पर रोक लगा दी है। कुछ लोग करेंसी एक्सचेंज करवा रहे हैं तो इसके लिए भारी कमीशन तक देना पड़ रहा है। पहले नेपाली करेंसी को भारतीय करेंसी में बदलने के लिए कमीशन देना पड़ता था। लेकिन अब ये उल्टा हो गया है। इस समस्या से भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि सीमा पर कारोबार से जुड़े व्यापारी और भारत में रोजगार के लिए पहुंचने वाले लाखों नेपाली नागरिक भी परेशान हैं।

नेपाल के सुदूर पश्चिम विश्वविद्यालय के योजना प्रमुख व अर्थशास्त्री सुरेश भंडारी का कहना है कि नेपाली बाजार में भारतीय करेंसी की स्थिति बीते छह माह से कमजोर चल रही है। नेपाली कैलाली स्थित गेटा अस्पताल में आखों का इलाज करा रहे राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि पूर्व में भारतीय करेंसी से उन्होंने इलाज करवाया। लेकिन अब अस्पताल प्रबंधक भारतीय करेंसी लेने से मना कर रहा है। एक्सचेंज के दौरान भारतीय करेंसी का मूल्य कम हो गया है। पूर्व में पांच सौ भारतीय रुपये पर 800 रुपये मिलते थे अब 700 रुपये ही मिल रहे है। नेपाल के बैतड़ी खरीदारी करने पहुंचे भारतीय नागरिक प्रकाश व रेखा ने बताया कि नेपाली नागरिकों ने भारतीय करेंसी नहीं ली। इससे मजबूरन उन्हें बगैर खरीदारी के ही लौटना पड़ा।

नेपाली मजदूरों को सता रही चिंता

सीमांत जनपद में रोजगार के लिए पहुंचे नेपाली मजूदरों को भी चिंता सता रही है। बहादुर सिंह, राम सिंह थापा ने बताया कि वे जिला मुख्यालय में मजदूरी का कार्य करते हैं। पूर्व में वतन वापसी के दौरान वे भारतीय करेंसी का ही नेपाल में इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब बाजार में भारतीय करेंसी नहीं चल रही है। कोई व्यापारी ले भी रहा है तो वह भारतीय करेंसी की कीमत कम दे रहा है। नेपाल व्यापार मंडल के मंडल संयोजक दशरथ सिंह खड़ायत का कहना है कि भारतीय मुद्रा का मूल्य कम करना चिंता का विषय है। नेपाल के अधिकतर नागरिक रोजगार के लिए भारत पर ही निर्भर हैं। नेपाल के जुलाघाट में पूर्व में पांच लाख से अधिक का व्यापार हुआ करता था। अधिकतर ग्राहक भारतीय ही हैं। लेकिन बड़े नोट नेपाल में प्रतिबंधित होने से व्यापार में गिरावट आ गयी है।

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