G20 में अंत्योदय विचार

डॉ दिलीप अग्निहोत्री


कुछ वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास के लक्ष्य निर्धारित किए थे। भारत ने अपने स्तर से इस पर अमल सुनिश्चित किया था। इसके दृष्टिगत अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से जी 20 देशों भी इन विकास लक्ष्यों पर साझा प्रयास का मंसूबा दिखाया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा पहले ही इन लक्ष्यों पर विचार-विमर्श कर चुकी है। इसके आधार पर वर्तमान प्रदेश सरकार ने योजनाएं बनाई थी। उन पर क्रियान्वयन चल रहा है। उत्तर प्रदेश में आयोजित हुए जी 20 इवेंट्स में भी इस पर मन्थन किया गया। वस्तुतः सतत विकास के  लक्ष्य और उद्देश्य में वह बिंदु समाहित है जिन्हें हासिल करने का महात्मा गांधी ने सदैव प्रयास किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ से सतत विकास प्रस्तावों में गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली, शिक्षा, लैंगिक समानता, जल एवं स्वच्छता, ऊर्जा, आर्थिक वृद्धि और उत्कृष्ट कार्य, बुनियादी सुविधाएं, उद्योग एवं नवाचार, असमानताओं में कमी, संवहनीय शहर, उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्रवाई, पारिस्थितिक प्रणालियां, शांति, न्याय, भागीदारी के विषय शामिल है।

इनको ध्यान से देखें तो यही गांधी चिंतन के मूल आधार है। वह ऐसा विश्व चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बीमारी, असमानता,भुखमरी न हो। इन्हीं पर तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जोर दिया। गांधी का सपना समता मूलक समाज था। वह विश्व को अधिक संरक्षित बनाना चाहते थे। शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण को वरीयता देते थे। वह समस्याओं के निराकरण में सबकी भागीदारी चाहते थे। समाज में सक्षम व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह निर्बलों की सहायता करे। अपने को संम्पत्ति का ट्रस्टी समझे। इसी प्रकार धनी देश अविकसित देशों की सहायता करे। गांधी चिंतन की भावना थी कि कोई पीछे न छूटे। संयुक्त राष्ट्र संघ का भी यही विचार है। इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना आवश्यक है। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इसी के मद्देनजर नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, जैसी योजनाएं लागू की। इन सतत विकास लक्ष्यों का सीधा संबंध प्रदेश सरकारों से है। जी 20 बैठकों में बताया गया कि सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में स्थानीयकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है।इसमें सरकार, समाज और निजी संगठनों का त्रिकोणीय सहकार आवश्यक है। इसके द्वारा वैश्विक परिदृश्य को बदला जा सकता है।

भारत त्रिकोणीय सहकार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। कोविड महामारी और यूक्रेन संकट के समाधान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भारत का मॉडल ऐतिहासिक है। नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय क्षमता को अधिक से अधिक बढ़ाने पर जोर दिया था। सतत विकास के एजेंडे को पूरा करने की दिशा में भारत तेज गति से बढ़ रहा है। सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में त्रिकोणीय सहकार के लिए प्रभावी मॉनिटरिंग सिस्टम आवश्यक है।  इनोवेटिव फायनेसिंग, विभिन्न हितधारकों का स्वामित्व, अवधारणा को कार्य में परिवर्तित करने का भी महत्व है। जी-20 के विकास लक्ष्यों के लिए कार्य कर रहे विभिन्न समूहों को केन्द्र में लाने, प्राकृतिक आपदा से निपटने के साथ उन्हें रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। लैंगिक असमानता को दूर करने आदि की आवश्यकता है। कुछ मामलों में स्थानीय सरकारों को नियंत्रित करने की भी आवश्यकता है।जहां पर जी-20 के सतत विकास लक्ष्यों के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मिश्रित वित्त पोषण, सोलर एनर्जी, पर्यावरण संरक्षण, चक्रीय अर्थ-व्यवस्था आदि की आवश्यकता है। त्रिकोणीय सहकार से भारत में इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है।

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भारत वैश्विक नवाचार कार्यक्रम पर तेज गति से कार्य कर रहा है। भारत और फ्रांस के सहयोग से कई राष्ट्रीय उद्यानों का संधारण किया जा रहा है। चक्रीय अर्थ-व्यवस्था के लिए भारत में कई प्रयोग किये जा रहे हैं। होटलों से निकलने वाले फूड वेस्ट को बायोगैस में बदला जा रहा है। त्रिकोणीय सहकार में भारत और जर्मनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डिजिटलाइजेशन में भारत में जो कार्य हुआ है, वह पूरे विश्व में अद्वितीय है। सरकारों के साथ विभिन्न निजी संस्थाओं की जी-20 के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। स्थानीयकरण में समाज का योगदान लेना चाहिए। कहा कि स्वामित्व की स्थानीय अवधारणा की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संबंधित देश की प्राथमिकता को समझना होगा।वहां के नागरिकों का सशक्तिकरण करना आवश्यक है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए त्रिकोणीय सहकार, साउथ-साउथ को-ऑपरेशन एजेंडे को पूरा करने, कोलम्बो प्लान पर कार्य, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा, स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण, दक्षता संवर्द्धन आदि क्षेत्रों में भारत निरंतर कार्य कर रहा है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विकास सहयोग और स्थानीयकरण के क्षेत्र में भारत को और कार्य करना चाहिए।

सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्थानीयकरण के कार्य में त्रिकोणीय सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। स्थानीय सहयोग से लैंगिक असमानता को दूर किया जाना चाहिए। इसके लिए महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उनकी शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाना होगा और घरेलू हिंसा को रोकना होगा।  जी-20 लक्ष्यों की प्राप्ति में वैश्विक चुनौतियों को दूर करने के लिए त्रिकोणीय सहकार आवश्यक है। सरकार, निजी क्षेत्र और समाज को मिलकर स्वामित्व की अवधारणा को नया रूप देना होगा। इस कार्य को सरकार अकेले नहीं कर सकती। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व को वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा देश में इन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी के प्रदेश द्वारा भी इस दिशा में आवश्यक रूप से प्रयास करना होगा। गांधी जयन्ती के अवसर पर राज्य विधान मण्डल द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रिकॉर्ड छत्तीस घण्टे तक लगातार चर्चा की गयी थी। चर्चा के उपरान्त सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय हेतु समितियां गठित की गयीं।

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इस सम्बन्ध में प्रगति की मंत्रिमण्डल के एक समूह द्वारा समीक्षा की जाती है।गांधी का सपना समता मूलक समाज का था। वह विश्व को अधिक संरक्षित बनाना चाहते थे। शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण को वरीयता देते थे। वह समस्याओं के निराकरण में सबकी भागीदारी चाहते थे। समाज में सक्षम व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह निर्बलों की सहायता करे। अपने को संम्पत्ति का ट्रस्टी समझे। इसी प्रकार धनी देश अविकसित देशों की सहायता करे। गांधी चिंतन की भावना थी कि कोई पीछे न छूटे।

संयुक्त राष्ट्र संघ का भी यही विचार है। इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना आवश्यक है। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जनसँख्या का नियंत्रण भी आवश्यक है। महात्मा गांधी भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक महापुरुष थे। विश्व में कहीं भी जब अहिंसा, स्वतंत्रता,मानवता, सौहार्द,स्वच्छता,गरीबों की भलाई आदि का प्रसंग उठता है,तब महात्मा गांधी का स्मरण किया जाता है। भारत को स्वंतंत्र कराने में उन्होंने अपना जीवन लगा दिया। फिर भी वह अंग्रेजों से नहीं उनके शासन से घृणा करते थे, उनके शासन की भारत से समाप्ति चाहते थे। यह उनका मानवतावादी चिंतन था। वह पीर पराई को समझते थे। उसका निदान चाहते थे। इन्हीं गुणों ने उन्हें विश्व मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया।

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