ओली के नक्शे कदम पर चलने की नेपाली PM प्रचंड की कोशिश

उमेश तिवारी


काठमांडू / नेपाल । नेपाल में माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल प्रचंड के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही चीन की गतिविधियां बढ़ गई हैं। चीनी दूतावास इस हिमालयी राष्ट्र के आतंरिक मामलों में भी दखल करने लगा है। प्रचंड ने 26 दिसबंर 2022 को शपथ ली थी। इसी दिन माओवादियों के वैचारिक पिता माओत्से तुंग की 130वीं जयंती भी थी। नेपाली मीडिया में चर्चा है कि प्रचंड को प्रधानमंत्री बनवाने के पीछे चीन का ही हाथ था। चीन के ही इशारे पर प्रचंड के धुर विरोधी और पुराने दुश्मन केपी शर्मा ओली ने समर्थन का ऐलान किया था। जुलाई 2021 में प्रचंड के ही पीछे हटने के कारण ओली को प्रधानमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। ओली को पुराना चीन समर्थक नेता माना जाता है।

प्रचंड के पीएम बनते ही सुपरएक्टिव हुआ चीन

एपरडाफास की रिपोर्ट के अनुसार, 20 नवंबर को हुए चुनावों और माओवादी राष्ट्रपति पुष्पा कमल दहाल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद नेपाल में चीन का हस्तक्षेप अधिक स्पष्ट हो गया है। इससे पता चलता है कि दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव बढ़ाने में नेपाल मददगार साबित हो सकता है। नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुआ था। इसमें पुष्प कमल दहल प्रचंड के माओवादी सेंटर को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 32 सीटें मिली थी। वह नेपाल की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, प्रधानमंत्री पद की चाहत के कारण प्रचंड का पूर्व सहयोगी नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा से राजनीतिक तलाक हो गया।

प्रचंड को सबसे पहले चीन ने दी थी बधाई

पुष्प कमल दहाल प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले बधाई देने वाला काठमांडू में चीनी दूतावास था। शपथग्रहण के दिन यानी 26 दिसंबर को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि नेपाल के पारंपरिक मित्र और पड़ोसी के रूप में चीन नेपाल के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है। उन्होंने कहा था कि हम मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाने और उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नई नेपाली सरकार के साथ मिलकर काम करने की आशा करते हैं। विकास और समृद्धि के लिए एक स्थायी दोस्ती की विशेषता वाली हमारी सामरिक सहकारी साझेदारी को नई गति दी जाए और हमारे दोनों लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले।

चीन ने काठमांडू-केरूंग रेलवे के लिए भेजी टीम

दहाल सरकार की स्थापना के बाद चीन ने नेपाल में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। काठमांडू-केरुंग रेलवे का विस्तृत अध्ययन करने के लिए 27 दिसंबर, 2022 को एक चीनी विशेषज्ञ टीम नेपाल पहुंची। केरुंग-काठमांडू रेलवे नेपाल में चीन के बीआरआई के तहत नौ विकास परियोजनाओं में से एक है। भले ही काठमांडू में दहाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार आर्थिक समृद्धि के लिए बीजिंग के समर्थन को लेकर उत्साहित और आशावादी है, लेकिन नेपाली विशेषज्ञ और वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों ने चीन के बीआरआई के बारे में चिंता व्यक्त की हैं। उन्होंने नेपाल को श्रीलंका जैसे कर्ज के जाल में फंसने की आशंका भी जताई है।

नेपाल की 36 हेक्टेयर जमीन पर चीन का कब्जा है

हाल ही में, नेपाली मीडिया ने बताया कि नेपाल की उत्तरी सीमा पर चीन ने 10 स्थानों पर 36 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी सर्वे दस्तावेज के मुताबिक, चीन ने उत्तरी सीमा पर 10 जगहों पर नेपाल की 36 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसी तरह, गृह मंत्रालय के एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि नेपाल की राज्य नीति में सीमा के मुद्दों को शामिल करना आवश्यक है।

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